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इंटरनेट बैन समस्या या समाधान ?

***.......सीधी खरी बात.......***
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निश्चित तौर पर इंटरनेट आज के समय में आम लोगों के बीच संवाद का बड़ा मंच बन चुका है जिसके चलते इसका दुरूपयोग रोकने के लिए सरकार की तरफ से कानून व्यवस्था से निपटने के लिए विभिन्न जगहों पर इस पर अस्थायी रोक लगाए जाने की परंपरा सी शुरू कर दी है जिससे आम लोगों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हरियाणा में एक जाट संस्था और सत्ताधारी दल के एक सांसद की जनसभा से आखिर वहां की कानून व्यवस्था किस तरह बिगड़ सकती है यह समझ से परे है पर इन सभाओं को लेकर राज्य के १३ जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर २६ नवम्बर की मध्यरात्रि से तीन दिनों के लिए रोक लगा दी जाएगी. यहाँ पर यह समझना आवश्यक है कि आखिर सरकारों को इस तरह के कदम उठाने की आवश्यकता आखिर क्यों पड़ती है और संविधान से मिले लोकतान्त्रिक तरीके से जनसभा के अधिकार के साथ कोई भी सरकार ऐसे कैसे कर सकती है ? क्या आज इंटरनेट इतना प्रभावी है कि उसके चलते सरकारों के ख़ुफ़िया तंत्र खोखले और कमज़ोर साबित हो जाते हैं या आमलोगों में ही अपने अधिकारों के दुरूपयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है जिसके चलते सरकारें भी सोशल मीडिया की इस शक्ति से निपटने के लिए इस पर रोक लगाने को ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प मानने लगी हैं ?
यह ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में कोई भी स्पष्ट रूप से यह नहीं खोज सकता है कि आखिर गलती किसकी है और किस तरह से इससे निपटा जाना चाहिए क्योंकि आज के युग में जब देश को डिजिटल बनाये जाने की कोशिशें की जा रही हैं तो समय समय पर इस डिजिटल युग में यह ब्लैक आउट किस तरह से सही ठहराया जा सकता है ? निश्चित तौर पर आज आमलोगों के बहुत से काम इंटरनेट के माध्यम से ही होते हैं बैंकिंग सेवाओं से लगाकर अधिकांश प्रशासनिक कार्यों को भो जिस तरह से नेट के माध्यम से किये जाने की सुविधाएँ देने के साथ सरकार इनको बढ़ावा देने में लगी है तो इस तरह की रोक आखिर इस अभियान को कहाँ तक सफल होने देगी ? जिन लोगों के आवश्यक बैंक या अन्य कार्य इंटरनेट के माध्यम से किये जाने होंगे वे भी इस अवधि में नहीं हो सकते जिससे इन ज़िलों की बहुत बड़ी आबादी को व्यापक रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. इस बारे में सरकार को भी अन्य विकल्पों पर सोचना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर ऐसे कदम उठाने के स्थान पर केवल सोशल मीडिया पर ही प्रतिबन्ध लगाए जाने की व्यवस्था पर काम करना चाहिए क्योंकि सरकार की समस्या पूरा इंटरनेट नहीं बल्कि सोशल मीडिया अधिक होता है और इससे निपटने के लिए सही दिशा में सही तरह से काम किये जाने की आवश्यकता भी है.

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