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यूपीआई और बैंक

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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नोटबंदी और डिजिटल भुगतान प्रणाली को पूरी तरह लागू करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से जिस तरह आम लोगों को डिजिटल भुगतान के विभिन्न तरीके उपलब्ध करवाए गए, उनमें से सबसे महत्वपूर्ण यूपीआई साबित हो सकता है। मगर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तरफ से इसके उपयोग को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाए जाने के चलते आज यह अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में बहुत पीछे जा रहा है।

एनसीपीआई (राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड) के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में ४ करोड़ यूपीआई भुगतान का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष्य केवल २.६ करोड़ भुगतान ही इसके माध्यम से संपन्न हो सके हैं। इससे यह पता चलता है कि पूरी व्यवस्था को आम लोगों और बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने वालों के लिए अभी भी सही तरह से प्रचारित नहीं किया गया है, जिससे आज यह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल नहीं हो पा रही है।

केंद्र सरकार, रिज़र्व बैंक और एनसीपीआई केवल काम करने के प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा सकते हैं, उनका उपयोग सही तरह से अधिकांश लोगों द्वारा किया जाये यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी तो सीधे तौर पर बैंक प्रबंधन पर ही आती है। मगर वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि आने वाले समय में बैंकों को डिजिटल भुगतान प्रभावी बनाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है।

धन के लेन-देन से जुड़ा मामला होने के चलते आम लोग किसी धोखाधड़ी का शिकार होने के डर से भी डिजिटल तरीके से भुगतान करने की प्रक्रिया अपनाने से बचते हुए नज़र आते हैं। जिसे दूर करने के लिए आज तक बैंकों की तरफ से कोई गंभीर प्रयास नहीं किये गए। आम लोगों की शंकाओं के निवारण के साथ ही यूपीआई के भुगतान को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिससे इस तकनीक का अधिकतर लोग उपयोग कर सकें। पर दुर्भाग्य से यह अभी तक केवल सरकारी काम जैसा ही समझा जा रहा है, जिससे इसके लिए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना और भी कठिन हो सकता है।

बैंकों के माध्यम से भुगतान करने की इस प्रक्रिया के साथ ही भीम या बैंकों के यूपीआई एप्लीकेशन्स में भुगतान करने के सभी विकल्प उपलब्ध होने चाहिए। जैसे कि आज यूपीआई के माध्यम से केवल पैसों का लेनदेन ही संभव हो पा रहा है, जबकि इन एप्‍लीकेशन्स के माध्यम से सीधे ही बिजली, पानी, फ़ोन का बिल, स्कूल फीस आदि रोज़ की आवश्यकताओं को भी जोड़ा जाना चाहिए, ताकि एक एप्लीकेशन से ही सभी काम किये जा सकें।

यूपीआई को बढ़ावा देने के लिए बैंक भी कोशिश करें, तो पूरे देश में डिजिटल पेमेंट की तस्वीर को बदला जा सकता है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की तरफ से पहले ही ई बडी एप्लीकेशन को चलाया जा रहा था, पर यूपीआई के शुरू होने के बाद इसकी तरफ से अन्य लोगों की तरह कोई महत्वपूर्ण प्रयास सामने आते नहीं दिख रहे हैं। जबकि इसके द्वारा इस एप्लीकेशन को और सुधार कर यूपीआई के माध्यम से भुगतान करने की सेवा शुरू करने के बारे में काफी पहले ही तेज़ी से सोचा जाना चाहिए था।

यदि एसबीआई की तरफ से ऐसे किसी प्रयास को सामने लाया जा सके, तो सार्वजानिक क्षेत्र के अन्य बैंकों के यूपीआई से जुड़े खातों से भुगतान कर बहुत सारे विकल्प अपनाने की छूट आम लोगों को मिल सकती है। सरकार और रिज़र्व बैंक को भी डिजिटल भुगतान बढ़ाने के लिए कम से कम दो हज़ार रूपये तक के भुगतान पर किसी भी तरह का चार्ज लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि अनावश्यक चार्ज भी बहुत बार आम लोगों को इस तरह की सुविधाओं से जुड़ने से रोकने का काम करते हैं।

एसबीआई को अविलम्ब अपने ई बडी को सुधार करने और हर तरह के भुगतान करने की सुविधाओं से लैस करना ही होगा, क्योंकि आम लोगों तक पहुंच बनाये रखने के लिए ऐसा कदम उठाया जाना बहुत आवश्यक है, जिससे देश को समग्र रूप से डिजिटल क्रांति से जोड़ने की दिशा में और भी आगे बढ़ाया जा सके और आम लोगों के बैंक और विभिन्न कार्यालयों में भुगतान के लिए लगने वाले चक्करों को भी कम किया जा सके।

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