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अशांत कश्मीर और पाकिस्तान

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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पाकिस्तान के अवैध कब्ज़े के चलते जम्मू कश्मीर देश के लिए आज़ादी के बाद से ही एक बड़ी समस्या के रूप में लगातार सामने आता रहा है क्योंकि पाकिस्तान को यह लगता है कि भारत के बंटवारे के समय जो नीति अपनायी गयी थी वह सही नहीं थी और कश्मीर में अधिक मुस्लिम आबादी होने के कारण पाकिस्तान का हिस्सा ही होना चाहिए भले ही वहां के शासक कुछ भी कहते रहें पर साथ ही वह गिलगित बाल्टिस्तान और बलोचिस्तान के लिए इस सूत्र को लागू नहीं करना चाहता जहाँ की जनता के लिए आज भी सामान्य जीवन जीना कठिन ही है. पाकिस्तान की राजनीति में सर्वाधिक प्रभावी पंजाबी समुदाय ने जिस तरह से सेना के साथ हर क्षेत्र में बढ़त बनायीं हुई है और वह आज भी अन्य क्षेत्रों और लोगों के दमन में लगा हुआ है उसके बाद उसके लिए कभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं. पाकिस्तान के चीन को छोड़कर अपने किसी भी पडोसी से मधुर सम्बन्ध नहीं है और आज भी उसके साथ केवल यही तमगा काम करता है कि वह मुसलमानों के लिए अलग से बनाया गया राष्ट्र है जो मुस्लिम समुदाय के लिए सर्वोत्तम साबित हो सकता है पर अपने गठन के तीन दशक में ही इस्लाम के नाम पर बनाये गए इस राष्ट्र ने बांग्लादेश में अपनी बढ़त खो दी थी जब मुक्तिवाहिनी के संघर्ष और पाकिस्तान के दमन के चलते पूर्वी पाकिस्तान उससे अलग हो गया था.
निश्चित तौर पर पाकिस्तान में सेना सबसे आगे है पर सैन्य समाधान सदैव सही नहीं हुआ करते हैं और देश को सही दिशा देने के लिए राजनैतिक पहल भी आवश्यक हुआ करती है. अमेरिका के सन्दर्भ में यदि गौर से देखा जाये तो पाकिस्तान से जिस दिन उसका मतलब समाप्त हो जायेगा और वह उसके काम आना बंद हो जायेगा तो वह नाटो और अन्य क्षेत्रीय संगठनों को साथ लेकर उसके वर्तमान स्वरुप को बिगाड़ने का काम भी आसानी से कर सकता है. वर्तमान रूप का अखंड पाकिस्तान केवल तब तक ही दुनिया के नक़्शे पर है जब तक उसके पास अमेरिका की शक्ति है और जब भी अमेरिका के हितों पर पाकिस्तान से सीधे चोट की जाएगी तो वह इसके टुकड़े करने से भी बाज़ नहीं आएगा यह बात पाकिस्तान की समझ में नहीं आ रही है. आने वाले समय में पाकिस्तान के सिमटते स्वरुप से जहाँ पश्चिमी देशों को आसानी होगी वहीं वे इसके लिए अपनी सुविधा के अनुसार मानवाधिकार की बातें करते हुए पाकिस्तान पर भी हमला करने से नहीं चूकेंगें. वैसे भी केवल इस्लाम और सेना के नाम पर ही पाकिस्तान एक है वर्ना आज वहां के हर क्षेत्र में बड़ा असंतोष आसानी से महसूस किया जा सकता है जो कभी भी एक राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान के लिए समस्या खड़ी कर सकता है.
पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान के दावे को कश्मीर में सही नहीं माना जा सकता है सिर्फ इसलिये ही आज तक संयुक्त राष्ट्र से लगाकर किसी भी अन्य मंच से पाकिस्तान द्वारा यह मामला लगातार उठाये जाने के बाद भी उसे कोई मजबूत समर्थन या आश्वासन नहीं मिल पाया है जबकि अमेरिका उसकी आज़ादी के बाद से उसके साथ हर तरह की सुविधा और सहायता लेकर मौजूद रहा करता है. आने वाले समय में अराजक होते पाकिस्तान के खिलाफ उसका परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र होना ही बहुत बड़ा हथियार बन सकता है क्योंकि किसी एक बड़ी घटना के बाद पाकिस्तान के असुरक्षित परमाणु ज़खीरे को निष्क्रिय करने के लिए पूरी दुनिया में एक सहमति भी बन सकती है. भारत से पाकिस्तान की चाहे जितनी भी असहमति हो पर खुले तौर पर भारत के खिलाफ परमाणु हथियार का उपयोग करने के दुष्परिणाम से पाकिस्तान अच्छी तरह से वाकिफ है और वह जेहादियों को विभिन्न हथियारों की जानकारी देकर पश्चिमी देशों और अमेरिका के खिलाफ उन्हें उकसाने का काम करने में ही अपने हित भी देखता है. भारत यदि पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों उसी तरह से हस्तक्षेप करने लगे जैसा पाकिस्तान किया करता है तो उसके लिए अपने अस्तित्व को बचाये रखना भी कठिन होने वाला है यह बात खुद पाकिस्तान की सेना और राजनेताओं के संज्ञान में है संभवतः इसलिए ही वे कश्मीर में हर तरह का परोक्ष समर्थन देकर उसकी आज़ादी की बातें किया करते हैं और कश्मीरियों को भड़काने का काम करते रहते हैं.

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