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बड़े झंडे और सम्मान

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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जिन्दल समूह के प्रमुख और पूर्व कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल की पहल और कानूनी लड़ाई के दम पर आम भारतीयों को झंडा अधिनियम में संशोधन के बाद अपने घरों, प्रतिष्ठानों और सार्वजनिक स्थानों कुछ शर्तों के साथ राष्ट्रीय झंडा फहराने की अनुमति मिल गई थी पर उसके बाद देश में एक नए चलन का उभार देखा गया और राज्यों में इस बात की होड़ सी लग गयी कि उनके राज्य में देश का सबसे ऊंचा तिरंगा लहराना चाहिए उसके बाद से देश के अधिकांश राज्यों से इन लगे हुए झंडों के फटने और उनके सम्मान की अनदेखी की ख़बरें लगातार आ रही हैं. देश के नागरिकों को अपने राष्ट्रीय ध्वज को अपनी इच्छानुसार फहराने की अनुमति होनी चाहिए पर क्या एक भारतीय के रूप में हमसे देश की आन मान कर उसके साथ वैसा व्यवहार कर पाते हैं ? इस तरह की परिस्थिति में सरकारों के पास क्या अधिकार होने चाहिए जिससे वह झंडे के सम्मान को बचाये रखने के साथ ही आम नागरिकों के इस अधिकार की भी रक्षा करने में सफल हो सके. तिरंगे और देश भक्ति पर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए राजनैतिक दलों के पास भी इस समस्या से निपटने की कोई इच्छा दिखाई नहीं देती है.
सबसे पहले सरकार को बड़े झंडों की आवश्यकतओं और प्रभाव पर विचार करना चाहिए कि आखिर कितने बड़े झंडे को लगाने की अनुमति उनकी तरफ से दी जा सकती है तथा जिस स्थान पर बड़े झंडे को लगाया जाना है वहां पर मौसम किस तरह का रहा करता है जिससे झंडे को उनके सही स्वरुप में रखने के लिए कितने संसाधनों की आवश्यकता पड़ने वाली हैं यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए. जो भी संस्था भले ही वह सरकारी या गैर सरकारी ही क्यों न हो उस पर झंडे को सही स्थिति में रखने का दायित्व भी दिया जाना चाहिए वर्ना किसी भी नियमित आकर से बड़े झंडे को फहराने की अनुमति किसी भी दशा में नहीं दी जानी चाहिए. सामान्य आकर से बड़े झंडे को लगाए जाने के बारे में कम से कम जिलाधिकारी की अनुमति लिखित रूप में लेना भी आवश्यक किया जाना चाहिए जिससे किसी भी संस्था या व्यक्ति को अपनी मनमर्ज़ी से कहीं भी बड़े झंडे लगाने से रोकने की सुदृढ़ व्यवस्था भी बनाई जा सके. झंडे के मान सम्मान का पूरा ध्यान रखने में सक्षम संस्था या व्यक्ति को ही इस तरह की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए जिससे बाद में किसी भी तरह की समस्या सामने न आने पाए.
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हम भारतीयों की देशभक्ति केवल कुछ अवसरों पर ही हिलोरें मारती है इसलिए सरकार की तरफ से संचार और समाचार के सभी संसाधनों से झंडे के सम्मान के बारे में जनवरी और अगस्त के महीने में प्रचुर मात्रा में प्रचार भी किया जाना चाहिए क्योंकि अधिकांश नागरिकों को झंडा अधिनियम और उसके दंडात्मक प्रावधानों के बारे में पता ही नहीं है इसलिए उनकी तरफ से अनजाने में ही कई बार झंडे के सम्मान में कमी की शिकायतें देखी जाती हैं. अब समय आ गया है कि नागरिक स्वयं भी इस बात के लिए अपने स्तर से जागरूक हो जाएँ और यदि वे कहीं पर भी राष्ट्रीय झंडे का उपयोग कर रहे हैं तो उनकी तरफ से उसके सम्मान में कोई कमी भी न दिखाई दे. इस समस्या के बारे में केवल आम लोगों को जागरूक करने से ही स्थिति को सुधारा जा सकता है और यह काम विद्यालयों, संचार के साधनों के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है जिससे भविष्य में इस तरह की समस्या सामने न आने पाए. देश भक्ति किसी महीने विशेष या अवसर पर ही दिखाई जाये ऐसा भी नहीं होना चाहिए हम ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों को हर स्तर पर पूरा करते हुए देश के प्रति अपना सम्मान पूरे वर्ष में कभी भी प्रदर्शित कर सकते हैं.

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