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उज्ज्वला योजना और भ्रष्टाचार

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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देश में सब्सिडी छोड़ने वाले लोगों के कारण होने वाली बचत को गरीबों के एलपीजी चूल्हे जलाने के लिए उपयोग किये जाने का वायदा पूरा करते हुए जिस तरह से पीएम मोदी ने बलिया से इसका शुभारम्भ किया वह अपने आप में गरीबों के चूल्हे के लिए एक लिए बड़ा वरदान भी बन सकती है. देश में पहले से ही गरीबों के लिए विभिन्न स्तरों पर कई प्रकार के आर्थिक सामाजिक सहायता के कार्यक्रम केंद्र और राज्य सरकारों के माध्यम से लगातार चलाये जा रहे हैं पर उनका अभी तक धरातल पर जितना प्रभाव दिखाई देना चाहिए था आज भी गरीब उसके लिए प्रतीक्षारत ही हैं तथा इन योजनाओं में लगातार हज़ारों करोड़ की धनराशि को डाला जा रहा है पर इनके लाभ को गलत आंकड़ों और चयन में अनियमितता करने के चलते सही लोगों तक पहुँचाने की कोई कारगर व्यवस्था भी नहीं बन पा रही है. देश के उन संसाधनों पर अपात्रों द्वारा लगातार अनाधिकृत रूप से अधिकार जमाया जा रहा है जिसके लिए वे कहीं से भी पात्र नहीं हैं और इसका सीधा असर गरीबों की स्थिति पर ही पड़ रहा है क्योंकि उनके हिस्से की योजनाएं भ्रष्टाचार के कारण लगातार गलत हाथों में जा रही हैं.
आज भी जिस तरह से गरीबी रेखा, गरीबों, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े नागरिकों के चयन के जो मानदंड बने हुए हैं वही इस तरह की योजनाओं की सफलता में सबसे बड़ी बाधा के रूप में सामने आ रहे हैं क्योंकि इनका चयन करने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह से निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों का उपयोग किया जाता है तो वे उस पूरी प्रक्रिया को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं और किस हद तक पात्र परिवार छूट जाते हैं तथा अपात्रों को घूस तथा राजनैतिक दबाव के चलते इन सुविधाओं के लिए योग्य घोषित कर दिया जाता है यह भी किसी से छिपा हुआ नहीं है. क्या आज देश को केंद्रीय स्तर पर एक ऐसे कानून की आवश्यकता नहीं है जिसमें विभिन्न योजनाओं के लिए सही लाभार्थियों के चयन के लिए ही एक विशेष अभियान चलाया जाये और एक बार सही तरह से समय देकर सही लोगों का चयन भी किया जाए जिससे विभिन्न योजनाओं के लिए चयन के मानकों का हर बार उल्लंघन करके अपात्रों को आगे न बढ़ा दिया जाये. निश्चित तौर पर इस तरह के प्रयास का राज्यों की तरफ से विरोध होगा क्योंकि उनके छोटे स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं आदि के लिए ऐसी योजनाएं सदैव ही करीबी लोगों को सहायता दिलवा कर अपनी राजनीति को चमकाने का अंग रहा करती हैं.
चयन की प्रक्रिया को केवल सरकारी स्तर पर किये जाने के स्थान पर लाभार्थियों के स्तर से भी शपथ पत्र लेने की नयी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए क्योंकि जब तक लाभार्थियों को इससे सीधे नहीं जोड़ा जायेगा तब तक किसी भी तरह से इस स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं किया जा सकता है. शपथ पत्र दिए जाने के साथ ही गलत जानकारी देने पर दण्डात्मक कार्यवाही का प्रावधान भी होना चाहिए जिसमें अगले १० वर्षों तक हर स्तर पर मताधिकार और किसी भी तरह की अन्य सरकारी सहायता और सुविधा से गलत जानकारी देने वाले परिवार को पूरी तरह से वंचित कर दिया जाना चाहिए. सरकार जब ज़िम्मेदारी से योजनाएं बना रही है तो जनता के स्तर पर भी ज़िम्मेदार भागीदारी की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे सहायता की धनराशि का सदुपयोग हो सके तथा वह उन लोगों तक प्रचुर मात्रा में पहुँच भी सके जिन्हें इसकी बहुत आवश्यकता भी है. बिना इस तरह का परिवर्तन किये उज्ज्वला योजना भी कुछ हद तक ही वंचितों की मदद कर पाने में सफल होगी क्योंकि निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटे बिना कितनी भी अच्छी योजना का बुरा हाल कर देने के लिए हम नागरिक और हमारा सरकारी तंत्र सदैव ही तैयार बैठे रहते हैं.

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