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भारत में क्रिकेट के प्रति आम लोगों की दीवानगी को देखते हुए इस खेल से किस तरह लोगों की भावनाएं जुडी हुई हैं यह समझ पाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती ही है. टी-२० विश्व कप में भारत पाक के मैच को लेकर जिस तरह से समस्याएं सामने आईं उसके बाद यह कहा जा सकता है कि दोनों देशों के बीच पिच पर क्रिकेट होने से पहले ही बीसीसीआई से लेकर केंद्रीय सत्ता के गलियारों तक राजनीति के लम्बे और उबाऊ टेस्ट मैच खेले जाते हैं जिनके आधार पर ही खेल को नियंत्रित किया जाता है. आज़ादी के बाद से ही द्विपक्षीय संबंधों को ठेंगे पर रखने की पाक नीति के चलते आज भी दोनों देशों के बीच सम्बन्ध सामान्य नहीं हो पाये हैं इसके बाद भी भारत की तरफ से सदैव ही शुरुवाती झिझक के बाद जिस तरह से हर बार क्रिकेट खेलने पर रजामंदी दिखाई जाती है उससे यही लगता है कि खेल को लेकर भी राजनीति अपने चरम पर रहा करती है और खेलभावना को किनारे रखते हुए आज भी दोनों देश केवल खेल को भी अपनी राजनीति का मोहरा समझते हैं. भारत में पाक के लिए सुरक्षा कभी भी कोई समस्या नहीं रही है और खुद पाक के खिलाडी भी इस बात को स्वीकार भी करते हैं.
ऐसा नहीं है कि पाक समर्थित आतंकियों के भारत के विभिन्न स्थलों पर किये जाने वाले हमलों के बाद इस मामले पर चर्चा नहीं होती है और भारत पाक के बीच में सब कुछ रुक जाता है. जब बात अन्य खेलों की होती है तो सब कुछ सामान्य तरीके से चलता रहता है और क्रिकेट का नाम सामने आने पर ही एक तरह से राजनैतिक गलियारों में शुरू होने वाली चर्चा प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में भरपूर जगह पाना शुरू कर देती है. जब हम अन्य खेलों को सहजता से लेकर उनको खेल भी सकते हैं तो आखिर क्रिकेट के नाम पर इस तरह का बखेड़ा खड़ा करने की क्या आवश्यकता है यह बात समझ से परे है क्योंकि अभी हाल ही में गुवाहाटी-शिलांग में संपन्न हुए सैफ खेलों में पाकिस्तान की टीम ने लगभग हर खेल में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाई और उसे किसी भी तरह की सुरक्षा सम्बन्धी कोई परेशानी भी नहीं हुई फिर क्रिकेट को लेकर दोनों पक्षों की तरफ से हाय तौबा किये जाने का क्या औचित्य बनता है यह खेल प्रेमियों से लगाकर आम जनता को भी समझ में नहीं आता है.
अब समय आ गया है कि भारत-पाक को यह एक बार में ही तय कर लेना चाहिए कि खेलों के नाम पर दोनों बिना किसी राजनीति के क्या क्रिकेट भी खेल सकते हैं ? यदि दोनों पक्षों में यदि इतनी सदाशयता नहीं है तो एक नीति बनकर क्रिकेट समेत सभी खेलों को आपस में खेलने से रोक लगा देनी चाहिए. पाक के नियंत्रण में वह जो भी करे पर भारत सरकार को अब स्पष्ट रूप से एक परिपक्व निर्णय लेने की आवश्यकता भी है क्योंकि अभी तक कांग्रेस नीत सरकारों पर शिवसेना और भाजपा यह आरोप लगाया करते थे कि वह देश के सम्मान को गिरवी रखकर पाकिस्तान के साथ खेलते हैं तो अब भाजपा को खुद ही यह तय करने का अवसर और समय मिल गया है कि वह क्रिकेट और पाकिस्तान के साथ कैसे सम्बन्ध चाहती है ? यदि क्रिकेट खेलने से इतनी समस्या है तो एक नीति के तहत द्विपक्षीय, एशिया और विश्व स्तरीय किसी भी स्पर्धा में भारत को पाक से न खेलने के बारे में नीति बना देनी चाहिए और कहीं भी पाक के साथ मैच होने की स्थिति में उसे वॉकओवर देने की नीति पर काम करना शुरू कर देना चाहिए. फिलिस्तीन के साथ समर्थन दिखाने के लिए लम्बे समय तक भारत ने टेनिस के खेलों में इसराइल का सामना होने पर उसे वॉकओवर देने की नीति पर अमल भी किया है तो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट में ऐसा कर पाना कोई कठिन कार्य भी नहीं साबित होने वाला है.
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