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भिंडरावाले पर राजनीति

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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देश की राजनीति में कुछ ऐसे अध्याय भी जुड़े हुए हैं जिनसे चाहकर भी पूरी तरह से पीछा नहीं छुड़ाया जा सकता है. चाणक्य नीति में स्पष्ट कहा गया है कि धर्म में राजनीति और राजनीति में धर्म का घालमेल सदैव ही घातक रहा करता है उससे किसी को भी कुछ हसिल नहीं हो पाता है केवल उसकी कड़वी सच्चाई ही हमें उस गलती को दोबारा न करने के लिए रोकती हुई नज़र आती है पर समय के साथ उन लम्हों को आँखों से देखने वाले लोगों की पीढ़ी के बदलने के बाद कुछ लोग फिर उसी तरह की बातें लेकर सामने आ जाया करते हैं. देश के इतिहास में देश की सबसे जीवंत कौम सिखों की अंदरूनी राजनीति का जिस तरह से अस्सी के दशक में तत्कालीन नेताओं द्वारा दुरूपयोग करना शुरू किया गया ऑपरेशन ब्लू स्टार उसकी वीभत्स परणीति ही थी जिसमें उस समय पंजाब की राजनीति पर वर्चस्व बनाये रखने का जो खेल यह सोचकर शुरू किया गया कि यह नेताओं के नियंत्रण में ही रहने वाला है वह पाक के हस्तक्षेप के कारण एकदम से ऐसा मुद्दा बन गया कि देश के लिए खालसा की स्थापना से ही जान लुटाने वाली कौम संदेह की दृष्टि से देखी जाने लगी जबकि वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं था पर उस समय पंजाब की राजनीति ने देश के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया था.
पिछले तीस वर्षों से ही ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर छुटपुट रूप से कुछ कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहते हैं पर सरकारी स्तर पर अधिकांशतः उनकी अनदेखी ही की जाती थी और ऐसे कार्यक्रमों में बहुत कम लोग भी इकठ्ठा हुआ करते थे पर इस बार जम्मू में जिस तरह से भिंडरावाले के पोस्टर हटाने को लेकर शुरू हुए विवाद ने जो रुख अपना लिया है उसमें केवल स्थानीय कारणों को ही ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. देश के सिख आज भी हमेशा की तरह पूरे जी जान से देश की प्रगति में अपना योगदान देने में लगे हुए हैं पर इसमें से विदेशों में बसे हुए कुछ लोगों को आज भी पाकिस्तान अलग सिख राष्ट्र के नाम पर भड़काने में लगा हुआ है तथा अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और अन्य कई देशों में आज भी खालिस्तान समर्थक तत्व सक्रिय हैं जिन पर भारत सरकार का कोई ज़ोर नहीं है पर पाकिस्तान के इस मामले में शामिल हो जाने से स्थितियां पूरी तरह से बदल भी सकती हैं. निश्चित तौर पर जम्मू में पुलिस ने इस धार्मिक मामले को उतनी संवेदनशीलता से नहीं लिया जितने की आवश्यकता थी जिस कारण एक व्यक्ति की जान भी जा चुकी है तथा कई सुरक्षा कर्मी भी घायल हुए हैं इस तरह के किसी भी मामले में जितने अनुभवी लोगों को लगाया जाना चाहिए उसमें जम्मू पुलिस पूरी तरह विफल हो गयी है.
जिस मामले को केवल सूझ बूझ से निपटाया जा सकता था उस पर केवल पुलिसिया कार्यवाही के चलते इतना बड़ा हंगामा खड़ा हो गया है जिससे एक बार फिर पाक अपने उन तत्वों के माध्यम से विदेशों में बसे भारत विरोधी खालिस्तान समर्थक सिख समूहों के माध्यम से गड़बड़ी करने की पूरी कोशिश करने वाला है क्योंकि इससे पहले जम्मू में इस तरह की कोई घटना कभी भी नहीं हुई थी. कहीं ऐसा तो नहीं कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के कांटे से कांटा निकालने के बयान का जवाब देने के लिए ही पाक ने इस तरह की हरकत केवल भारत को यह दिखाने के लिए ही करवाई हो कि वह आज भी भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने की स्थिति में है ? देश के आम सिखों की पाक या उसके द्वारा समर्थित किसी भी आतंकी संगठन से कोई सहानुभूति कभी भी नहीं रही है क्योंकि वे पाक की सच्चाई से पूरी तरह अनजान भी नहीं हैं पर विदेशों में बसे हुए सिखों को पाक पहले की तरह फिर से अपने समर्थन से खड़ा करने की कोशिशें पिछले तीन दशकों से करने में लगा हुआ है पर उसे आज तक उतनी सफलता नहीं मिल पायी है. आज जम्मू कश्मीर में भाजपा की सरकार है तो इस स्थिति में खुद पीएम और गृह मंत्री को मामले की गंभीरता समझते हुए इसका स्थायी राजनैतिक हल निकलने की तरफ सोचना चाहिए क्योंकि समस्या अभी पूरी तरह से नियंत्रण में है और इसे पुलिसिया अंदाज़ से निपटने के स्थान पर राजनैतिक कौशल और सद्भाव प्रदर्शित करने की अधिक आवश्यकता है.

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