Menu
blogid : 488 postid : 780791

रिज़र्व बैंक और नियम

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
  • 2165 Posts
  • 790 Comments

देश के हर परिवार के पास तक बैंक की पहुंच बनाने के लिए पीएम द्वारा शुरू की गयी जनधन योजना में पहचान सम्बन्धी अड़चन को दूर करने के लिए रिज़र्व बैंक ने नए दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं जिनके चलते अब उन लोगों को भी बैंकों में खाते खोलने में सुविधा हो जाएगी जो अभी तक किसी सरकारी पहचान पत्र न होने कारण बैंक में खाता नहीं खोल पा रहे थे. देश में पिछली सरकार ने जिस तरह से आधार को पहचान से जोड़ने की कवायद शुरू की थी उसे आगे बढ़ाने की कोशिशों के चलते ही आज आर्थिक मुद्दों को भी जिस तेज़ी से आगे बढ़ने की तरफ सोचना शुरू किया जा चूका है वह आने वाले समय में देश में भ्रष्टाचार को काम करने का काम ही करने वाला है. आज़ादी के बाद से ही गरीबों के लिए जिस तरह से व्यापक योजनाएं तो बनायीं जाती रही हैं पर उनके लिए उपलब्ध कराये जाने वाले धन का सदुपयोग उस अनुपात में नहीं हो पाने के कारण ही आज भी बहुत से लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है.
बैंकिंग को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए जिस तरह से रिज़र्व बैंक ने भी सरकार की मंशा को समझते हुए बिना वैध पहचान के भी सीमित अधिकारों वाले खाते खोलने की अनुमति बैंकों को प्रदान कर दी हैं वह पूरे बैंकिंग सेक्टर में वंचितों को देश के आर्थिक परिदृश्य पर लाने में सहायक ही साबित होने वाली है. आधार की परिकल्पना और उसके माध्यम से आर्थिक गतिविधियों को भी आगे बढ़ाये जाने की जिन कोशिशों को एक बार सरकार ने शुरू किया था अब उस पर अमल किये जाने की आवश्यकता भी है. रिज़र्व बैंक द्वारा नियमों में छूट के बाद अब कोई भी व्यक्ति बिना पहचान पत्र के भी एक सीमित सुविधा वाला खाता खोल सकता है जिसमें उसे पचास हज़ार रूपये से अधिक रखने की छूट नहीं होगी साथ ही उसे एक लाख रुपय से अधिक का क़र्ज़ भी नहीं मिल सकेगा. इस खाते से महीने में केवल दस हज़ार रूपये निकालने की ही छूट भी दी जाएगी. बाद में इस तरह का कोई भी खाता धारक अपने खाते को निर्धारित पहचान पत्र या राजपत्रित अधिकारी के द्वारा सत्यापित फोटो के माध्यम से नियमित भी करा सकता है.
देश में मोदी सरकार के आने के बाद से जिस तरह से कुछ लोगों को यह लगने लगा था कि अब आर्थिक सुधारों का नया युग शुरू होने वाला है उन्हें बड़े परिवर्तनों की आशा के साथ कुछ भी हाथ नहीं लगने वाला है क्योंकि पिछली सरकार ने देश की तरक्की के लिए जो भी प्रयास शुरू किए थे वे अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण थे पर कभी गठबंधन की सरकार तो कभी राजनैतिक विरोधों के चलते उन परिवर्तनों पर सही ढंग से अमल नहीं किया जा सका. मोदी ने सरकार बनने की संभावनाओं के साथ ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वे मनमोहन सिंह की आर्थिक नीतियों में विश्वास करते हैं और उन्हें आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास करेंगें जिसके बाद इस मुद्दे पर अनावश्यक राजनीति का कोई स्थान नहीं रह गया था. फिर भी जिस तरह से अभी भी कुछ मसलों पर मज़बूत सरकार के कदम और कड़े होने चाहिए अभी वहां तक मोदी की नज़र नहीं पहुंची है. देश को चलाने के लिए लम्बी अवधि की योजनाएं ही काम आती हैं और यह अच्छा ही है कि अब रिज़र्व बैंक भी जनधन योजना को हर व्यक्ति के लिए खोलने के लिए प्रयासरत दिखाई दे रहा है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh