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रेलवे परिचालन में लापरवाही

***.......सीधी खरी बात.......***
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विश्व के बड़े और प्रभावी रेल नेटवर्कों में शामिल भारतीय रेल के अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा गाज़ियाबाद और दिल्ली के बीच परिचालन सम्बन्धी ऐसी चूक हुई कि उसके चलते कोई बड़ा हादसा भी हो सकता था पर कुछ तकनीकी व्यवस्था और रेल ट्रैफिक के कम दबाव वाले समय होने के चलते कोई दुर्घटना नहीं होने पायी. कुछ भी हो इस तरह की गड़बड़ियों और लापरवाहियों से गाड़ियों के परिचालन में बहुत बड़ी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है और यह अच्छा ही हुआ कि इस गड़बड़ी के कारण फैली अव्यवस्था के चलते रेलवे ने तेज़ी से कदम उठाते हुए जांच होने तक ७ लोगों को सस्पेंड कर दिया है और मामले की पूरी जांच के आदेश भी दे दिए हैं. जांच का जो भी निष्कर्ष सामने आये पर कुछ ऐसे व्यवस्था भी की जानी चाहिए जिससे इस तरह से गलत मार्ग पर भेजी जा चुकी गाड़ियों को बीच में ही गलती पता लगने पर सही मार्ग पर डाला जा सके.
पटना-आनंदविहार समर स्पेशल ट्रेन जिसका अंतिम पड़ाव आनंदविहार होता है कल लापरवाही से नईदिल्ली जाने वाले मुख्य लाइन पर भेज दी गयी जिससे ट्रेन को उसी लाइन पर चलते हुए अंतिम स्टेशन तक लाया गया. जब इस बात का खुलासा हुआ कि इस ट्रेन ने गलत पटरी पर चलते हुए लगभग २० किमी की दूरी तय कर ली है तो विभाग में हड़कम्प मच गया. रेलवे ने मार्ग में पड़ने वाले परिचालन से जुड़े हुए ७ लोगों पर जिस तरह से प्राथमिक कार्यवाही की है वह इस तरह के लापरवाह लोगों के और सचेत होने की दिशा सही कदम है. इस ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड की यह ज़िम्मेदारी बनती थी कि उन्हें गलत दिशा का ज्ञान होने पर साहिबाबाद या आनंदविहार के परिचालन से जुड़े अधिकारियों के सामने अपना विरोध दर्शाना चाहिए था जो कि अभी तक पता नहीं चल सका है कि उन्होंने इस गलती का पता चलने पर आदेश मिलने पर ही नईदिल्ली तक जाने का निर्णय लिया था या वे लापरवाही के साथ खुद ही आगे बढ़ते चले गए थे ?
यह तो अच्छा ही रहा कि इस मार्ग पर गाड़ियों की स्पीड और परिचालन में ऐसी व्यवस्था है कि चालक को अपने आप ही धीरे धीरे ट्रैक के बारे में जानकारी रखते हुए आगे बढ़ने के निर्देश रहते हैं जिससे गाड़ियों की रफ़्तार भी काफी कम ही रहा करती है पर यदि इस तरह का काम किसी सुपरफास्ट ट्रेन के साथ हो जाये जिसे नई दिल्ली जाना हो और उसके चालक द्वारा इस बात की अनदेखी कर अधिक रफ़्तार से आगे बढ़ते रहें तो दुर्घटना होने की पूरी संभावनाएं भी बढ़ सकती थीं ? यह अच्छा ही रहा कि यात्रियों को परेशानी के अतिरिक्त इस पूरे मामले में और कोई समस्या सामने नहीं आई वार्ना इस व्यस्त मार्ग पर रेलवे के परिचालन में बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती थी. इस तरह के मामलों से जुड़े सभी लोगों को आर्थिक दंड देने का प्रावधान भी होना चाहिए क्योंकि निलंबन से किसी कर्मचारी का कुछ नहीं बिगड़ता है और लापरवाही करने वाले निलंबन की अवधि पूरी कर फिर से ड्यूटी पर आ जाते हैं.

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