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जननायक नवीन पटनायक

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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ओडिशा में लगातार चौथी बार सत्ता सँभालने के बाद भी जिस सादगी और नम्रता के साथ नवीन पटनायक ने लोगों के दिलों को बहुत नज़दीक से छुआ है वैसी मिसाल भारतीय राजनीति में कम ही दिखाई देती है क्योंकि आज के समय में जो भी व्यक्ति राजनीति की एक भी सीढ़ी चढ़ पाने में सफल हो जाता है तो उसके पैर ज़मीन पर नहीं पड़ते हैं देश में बढ़ते हुए राजनैतिक बदलावों के बीच भी नवीन जिस तरह से सादगी के साथ अपना काम करने में लगे रहते हैं उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती है. उनको देखकर यह नहीं लगता है कि वे कहीं ये निर्विवाद रूप से इतने बड़े कद के नेता हैं जो लगातार चौथी बार सत्ता संभल रहे हैं. वे आज के नेताओं की चकाचौंध वाली परिभाषा में कहीं भी खरे नहीं उतरते हैं जो भारतीय राजनीति में आज अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुकी है फिर भी उनके काम करने का तरीका अपने आप में अनूठा होने से उनकी ओडिशा की जनता पर पहुँच सदैव ही बनी रहती है.
पिछले वर्ष आये समुद्री तूफ़ान के समय उन्होंने जिस तरह से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति के लोगों और मौसम विभाग के पूर्वानुमानों के दम पर पूरे राज्य के संभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाने और उन्हें पूरी मदद देने में आगे आकर सरकार का नेतृत्व किया आज के समय में जंग खा चुकी नौकरशाही को जगाने के लिए वैसे ही क़दमों की देश के हर राज्य को आवश्यकता है. आज जिस तरह से सत्ता हाथ में आ जाने के बाद नेता जनता को भूल जाया करते हैं उसका असर पूरी तरह से उनके राजनैतिक भविष्य पर ही पड़ा करता है. नवीन वैसे तो राजनीति में आने से पहले लेखक हुआ करते थे और उन्होंने अपने पिता कि मृत्यु के बाद जिस तरह से राजनीति में आने का मन बनाया और उसे बेहतर तरीके से संचालित करके दिखाया भी वह उनके एक कलाकार ह्रदय की पुष्टि करता है.
समुद्री राज्य होने के कारण ओडिशा सदैव ही समुद्री तूफानों से प्रभावित हुआ करता है और साथ ही जिस तरह से वहां के कई जिलों में आज भी नक्सली समस्या समय समय पर अपना सर उठाती रहती है उससे भी पार पाने के लिए अब कुछ ठोस किये जाने की आवश्यकता है. प्राकृतिक कहर से बचने के लिए जिस तरह से पिछले वर्ष प्रयास किये गए वे अभूतपूर्व थे और अब उनको तटीय क्षेत्रों में और भी प्रभावी किये जाने की आवश्यकता है वहां पर सामुदायिक रेडियो और दूरसंचार के साधनों के साथ हैम रेडियो को भी बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है क्योंकि इनसे विपरीत परिस्थितियों में बहुत मदद मिलती है. नक्सली समस्या विकास और विद्रोह से जुड़ी हुई है उसके लिए जो भी प्रयास चल रहे हैं उन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए तथा राज्य को अपने संसाधनों के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबन्ध के बारे में भी प्रयास करने चाहिए क्योंकि ज़मीन के खनिजों पर जब राज्य के लोगों को अपने अधिकार महसूस होने लगेंगें तो विकास के साथ उनके सहयोग से आगे बढ़ने में राज्य और देश को सहायता ही मिलने वाली है.

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