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वाड्रा विवाद में देश पीछे

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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अब जब आम चुनाव लगातार अपने चरम की तरफ बढ़ता जा रहा है उस स्थिति में जब यूपी का महत्व भी सभी दलों को पता है इसीलिए यहाँ पर एक दूसरे को घेरने के लिए भाजपा और कांग्रेस जिस तरह से मुद्दों से पूरी तरह भटक कर व्यक्तिगत राजनीति पर उतर आई हैं उससे देश का भला कैसे होगा क्या इन दलों के नेता या प्रवक्ता इस बात पर कोई जवाब देना पसंद करेंगें ? कांग्रेस जहाँ कई चुनावों के बाद पिछली बार यूपी में कुछ सम्मानजनक सीटें जीत पायी थी वहीं भाजपा कम सीटों पर सिमट गयी थी पर इस बार सपा विरोधी माहौल में भाजपा अपने प्रदर्शन को उच्चतम स्तर तक ले जाने के लिए संकल्पित दिखाई दे रही है वहीं कांग्रेस पर अपनी पुरानी सीटें बचाने का ही दबाव अधिक है. देश का संविधान सभी को अपनी बात शालीनता की एक सीमा में कहने का अवसर देता है पर इस अवसर को लगता है कि अपनी हरकतों से नेता खुद ही गंवाना चाहते हैं पर चुनाव आयोग की भी सीमा होने से इनके बयान सभ्यता को लांघते ही जा रहे हैं.
राजनीति में शुचिता की बातें करने वाली भाजपा और उसके पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र भाई मोदी ने जिस तरह से राहुल को शहज़ादा और वाड्रा को जीजाजी कहना शुरू किया उसे किस नैतिकता में सही कहा जा सकता है और अब जब सोनिया राहुल और प्रियंका उन पर हमले कर रहे हैं तो वे हद में रहने की बाते भी करने लगे हैं. गुजरात का सुशासन और विकास क्या वाड्रा के बड़ा मुद्दा नहीं है या भाजपा के पास सुशासन के लिए कुछ भी कहने को नहीं बचा है जो वह पूरे चुनाव को वाड्रा पर केंद्रित करना चाहती है ? हो सकता है कि अपने राजनैतिक रसूख का लाभ उठाते हुए वाड्रा ने भी कुछ अनियमित काम करवा लिए हों पर ऐसा ही आरोप राजस्थान की गहलोत सरकार पर भी लगाया गया था कि वह वाड्रा को कौड़ियों के भाव ज़मीन देने में लगी हुई है जबकि अशोक गहलोत के राजनैतिक जीवन के बारे में आज तक उन पर किसी भी अनियमितता का आरोप भी नहीं लगा है. यदि वास्तव में भाजपा के पास कुछ है तो वह उसे जनता के सामने क्यों नहीं लाना चाहती है और इसे केवल एक मुद्दे की तरह क्यों इस्तेमाल करना चाहती हैं इसका जवाब भी मोदी की पूरी टीम के पास नहीं है ?
आखिर वाड्रा के खिलाफ ऐसा क्या है जो भाजपा कहती तो है पर उस मुद्दे पर कोई भी कार्यवाही करने के लिए तत्पर भी नहीं दिखाई देती हैं ? अब तो राजस्थान में चार महीनो से भाजपा की राजे सरकार काम कर रही है और यह भी तय है कि राजे ने भी इसे चुनाव मुद्दा बनाया था पर अभी तक क्या राजे सरकार उनके खिलाफ राजस्थान में कोई जांच शुरू कर पायी है और यदि वाड्रा या गहलोत के खिलाफ कोई अनियमितता मिली भी है तो उसका खुलासा क्यों नहीं किया जा रहा है ? यह संभव है कि वाड्रा मसले में भी गड़बड़ हो पर उसे इस तरह से केवल मुद्दा बनाये रखने से क्या दोषियों को सजा मिल पायेगी और आखिर सुशासन का भाजपा का यह कौन सा तरीका है जिसका वह अनुपालन राजस्थान में करने में लगी हुई है. यदि किसी के भी खिलाफ कुछ होता तो भाजपा इस बार सबूतों के साथ कांग्रेस पर हमलावर होती और वह सुशासन और विकास के मुद्दों को पीछे छोड़कर इस तरह से केवल बयानबाज़ी तक सीमित रहकर ही वाड्रा के पीछे नहीं पड़ती.

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