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मुलायम और बयान

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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लगता है कि देश के नेताओं ने वोटों के लालच में अपनी अंतरात्मा की आवाज़ तक को कुचल देने में भी कोई झिझक नहीं महसूस होती है एक सवाल के जवाब में मुलायम सिंह ने जिस तरह से बलात्कार जैसे अपराध पर इतनी लम्बी कोशिशों के बाद बने कानून को बदलने की बात की है वह उनकी मनोदशा को ही दिखाता है क्योंकि जब यूपी जैसे अराजक तत्व प्रधान प्रदेश में सत्ताधारी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष इस तरह के विचार रखते हैं तो उनसे महिलाओं की सुरक्षा की क्या उम्मीद की जा सकती है ? शक्ति मिल केस में जिस तरह से आरोपियों को कई बार अपराध करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गयी है उससे सही तरह से निपटने के स्थान पर चुनाव में कुछ वोट हासिल कर लेने के प्रयास कितने घृणित हैं इसका मुलायम सबसे ताज़ा उदाहरण हैं. नेताओं की मानसिकता उनकी पार्टी में परिलक्षित होती है और यह बयान देकर एक तरह से मुलायम ने अपनी मानसिकता को ही प्रदर्शित कर दिया है. किसी भी परिस्थति में क्या उनके द्वारा दिए गए इस बयान को सही ठहराया जा सकता है इसका जवाब तो आज अखिलेश के पास भी नहीं है.
वैसे तो पूरे भारतीय समाज में महिलाओं की स्थितियां कुछ अच्छी नहीं हैं फिर भी जब एक प्रदेश के बड़े और प्रभावी नेता द्वारा इस तरह की बातें की जाती हैं तो उनका समाज पर दूरगामी असर तो पड़ता ही है. देश में राजनैतिक प्रपंच में मुलायम सदैव प्रासंगिक रहा करते हैं क्योंकि उनके पास मतलब भर की लोकसभा सीटें होती हैं जिससे उनके इस तरह के अनर्गल बयानों की अनदेखी भी की जाती है. चुनाव के समय जिस तरह से उन्होंने यह बात कही है तो उस पर चुनाव आयोग को सख्ती के साथ कार्यवाही करनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट को भी यह मामला संज्ञान में लेना चाहिए क्योंकि एक बड़े प्रयास के बाद ही पिछले वर्ष कानून में संशोधन कर रेप के मामलों में कड़ी सजा दिए जाने के रास्ते को खोला गया है तो मुलायम जैसे कोई भी नेता उस पर इस तरह से ऊँगली कैसे उठा सकते हैं. जहाँ तक उन्होंने यह कहा है कि सत्ता में आने पर वे ऐसे मामलों में मौत की सजा ख़त्म कर देंगें तो यह भी स्पष्ट रूप से मतदाताओं को प्रभावित करने की एक कोशिश ही है.
भारत में बड़े नेताओं द्वारा चुनावी माहौल में इस तरह के बयान दिए जाने से विश्व में यह सन्देश भी जा सकता है कि भारत में बलात्कारियों का एक बड़ा वर्ग भी है जो चुनाव के समय ऐसे बयानों से भी प्रभावित हो सकता है ? राजनीति करने के लिए पूरा क्षेत्र खुला पड़ा है और उस पर काम करने के स्थान पर इस तरह की सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए किये जा रहे किसी भी प्रयास पर पानी फेरने का समर्थन आखिर कैसे किया जा सकता है. अभी तक अखिलेश को यूपी में महिलाओं की स्थिति सुधारने में कोई ख़ास सफलता नहीं मिली है और जब इस तरह से मुलायम के बयान भी आ गए हैं तो संभवतः आने वाले समय में रेप जैसे अपराध की रिपोर्ट भी यूपी पुलिस द्वारा न लिखी जाये क्योंकि यूपी में पुलिस का जितना राजनैतिक करण हो चुका है वैसा कहीं और भी देखने में नहीं आता है. इस तरह के अपराधों को कम करने का दावा करने के लिए सरकार इनको दर्ज़ करने से परहेज़ भी कर सकती है. फिलहाल यह मुलायम द्वारा वोटों को प्रभावित करने की एक कुत्सित चाल ही है और इसका हर स्तर पर विरोध भी किया जाना चाहिए जिससे कोई अन्य नेता संवेदनशील मसलों पर इस तरह कि राजनीति न कर सके.

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