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यूपी और हवाई यातायात

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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आखिरकार लम्बी खींचतान और विचार विमर्श के बाद अब देश के सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे यूपी में भी लोगों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त सात हवाई निकट भविष्य में परिचालन के लिए तैयार होने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा ही लिया गया है. केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्री अजीत सिंह के प्रयासों के बाद जिस तरह से राज्य सरकार ने सिद्धांत रूप में इन विकसित किये जाने वाले हवाई अड्डों के लिए ज़मीन उपलब्ध कराने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं उससे यही लगता है कि आने वाले समय में यह सपना अब धरातल पर उतर भी सकता है. राज्य में जिस तरह से बेहतर विकास और आवागमन की सुविधाएँ होने के बाद भी आज तक हवाई यातायात को बेहतर करने के लिए जिस स्तर पर प्रयासों की आवश्यकता थी आज तक उन पर कोई सोचना ही नहीं चाह रहा था पर अब जब यह काम आगे की तरफ बढ़ने लगा है तो राज्य, केंद्र को बेहतर समन्वय के साथ आगे बढ़ने की कोशिशें करनी चाहिए और आने वाले समय के लिए साथ मिलकर प्रयास करने चाहिए.
देश में यूपी जितनी बड़ी आबादी के लिए जिस स्तर पर मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता होनी चाहिए वह आज भी उपलब्ध नहीं हो सकी है और जब राज्य सरकार प्रदेश में औद्योगिक माहौल बेहतर करने के बारे में बात करती है तो उससे यही प्रदर्शित होने लगता है कि यह केवल दिखावा ही है पर आने वाले समय में प्रदेश के इन बड़े नगरों से हवाई यातायात के लिए सुविधाएँ उपलब्ध हो जाने के बाद औद्योगिक समूहों के लिए यह आसान होने वाला है कि वे प्रदेश के संसाधनों का सही ढंग से दोहन करने के लिए यहाँ भी अपने लिए अवसरों की तलाश करना शुरू कर सकें. आज वास्तव में चल रहे हवाई अड्डों के बूते तो राज्य में इन उद्योगों के लिए पहुंचना ही बहुत कठिन काम है क्योंकि वे अपना ध्यान केवल उन्हीं क्षेत्रों में लगाने का प्रयास किया करते हैं जहाँ पर उन्हें हर तरह की सुविधाएँ मिला करती हैं और आवश्यकता पड़ने पर उनके अधिकारी अन्य सेवाओं को सही ढंग से परिचालित करने के लिए आसानी से पहुँच पाते हैं.
देश के बाकी सभी भाग कितनी भी प्रगति क्यों न कर लें पर जब तक यूपी और देश की इतनी बड़ी आबादी के पास विकास के अवसर उपलब्ध नहीं होंगें तब तक किसी भी तरह से पूरे देश के विकास को नियमित नहीं किया जा सकेगा. अच्छा ही है कि यूपी और केंद्र सरकार इस दिशा में उन महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने की तरफ गम्भीर दिखायी देने लगी हैं जिनका असर देश के साथ पूरे प्रदेश के पर बहुत तेज़ी से पड़ सकता है. विकास को अब देश से जोड़कर देखने का समय आ चुका है क्योंकि अब किसी एक प्रदेश या क्षेत्र के विकास से पूरे देश को विकसित नहीं किया जा सकता है और आने वाले समय में जिन क्षेत्रों के संसाधनों का दोहन नहीं किया जा सका है यदि उनके लिए कुछ भी किया जा सके तो यह पूरे देश के लिए ही अच्छा होगा और देश के भीतर ही जिस तरह से आर्थिक कमज़ोरी को दूर करने के लिए पलायन हुआ करता हैं उस पर भी लगाम लगायी जा सकेगी. देश को एक इकाई के रूप में सोचते हुए आगे बढ़ने की आज सबसे बड़ी ज़रुरत है क्योंकि जब तक विकास का पूरा ज़ोर पूरे देश के हर क्षेत्र में नहीं लगाया जायेगा तब तक देश में आर्थिक समानता लाने के सभी प्रयास अधूरे ही रहने वाले हैं.

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