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राजनीति में युवा और पेशेवर

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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आप की राजनीति के शुरू होने के बाद जिस तरह से अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों ने भी राजनीति में अपने हाथ आज़माने के बारे में सोचना शुरू कर दिया है उससे अब देश के युवाओं में सही संदेश जा सकता है क्योंकि अभी तक ख़ानदानी राजनीति को छोड़कर नए सिरे से राजनीति में जुड़ने वाले लोग बहुत ही कम दिखायी देते थे. अब इस परिवर्तन के बाद आम युवा को भी राजनीति में आकर देश के लिए कुछ करने की ललक हो रही है तो इससे आने वाले समय में देश को बहुत कुछ अपने आप ही मिल जाने वाला है क्योंकि अभी तक जिस भी तरह से देश में जनता के लोकतंत्र को नेताओं द्वारा बंधन में जकड़कर रखा गया है अब उससे निकलने की दिशा भी यहीं से खुल सकती है क्योंकि आज की तारीख़ में कोई भी युवा अपने भविष्य के लिए राजनीति में जाने के बारे में नहीं सोचता है और यह एक ऐसे स्थिति है जो समाज के उस वर्ग को पिछले कई दशकों से राजनीति में प्रभावी बनाये हुए थी जिन्होंने आज राजनीति और देश का बहुत बड़ा नुकसान कर दिया है.
ऐसा नहीं है कि राजनीति करने के लिए देश के युवाओं में कोई ललक नहीं रही है पर आज की राजनीति जिस स्तर पर पहुंची हुई है उसमे किसी भी नए व्यक्ति के लिए आसानी से प्रवेश कर वहाँ पर अपने पाँव जमाना बहुत ही मुश्किल ही है. बड़े स्तर पर राजनीति करे वाले लोगों के पीछे एक ऐसा समूह सक्रिय रहता है जो अपने आप ही उस नेता के आस पास किसी अन्य की पहुँच नहीं होने देता है और अभी तक जो भी लोग टीवी पर बड़े नेताओं की लम्बी चौड़ी बातें सुनकर उनसे प्रभावित होकर यहाँ तक आने की हिम्मत भी कर पाते हैं वे फिर उस दलदल में ही उलझकर रह जाया करते हैं और देश सेवा के उनके मंसूबे पूरे नहीं हो पाते हैं. जब देश को पिछले दशकों में पढ़े लिखे और सही सोच रखने वाले लोग राजनीति में मिले ही नहीं तो केवल कुछ लोगों के भरोसे आखिर कब तक राजनीति को सही पटरी पर रखा जा सकता था ? आज जो कुछ भी गंदगी राजनीति में दिख रही है वह राजनीति के प्रति समाज की उदासीनता के कारण ही पनपी हुई है और इसे समाज ही अपने सही योगदान से सुधार सकता है.
अब समय आ गया है कि राजनीति शास्त्र की पढ़ाई के स्थान पर व्यवहारिक समाज सेवा की समझ रखने वाले इस क्षेत्र में आगे आयें और हर उस स्तर पर अपनी सेवाएं देने का प्रयास करें जिसमें उनको संतोष मिले और ज़मीनी राजनीति को प्रभावी बनाये रखने के साथ देश और भी आगे बढ़ सके. अभी तक लोगों को यह लगता था कि देश कि राजनीति से इस तरह की गंदगी को साफ़ कर पाना बहुत ही कठिन है पर दिल्ली की जनता ने पूरे देश को एक राह दिखाकर अपनी मंशा भी जाता दी हैं जिसके बाद भी यदि देश के स्थापित राजनैतिक दल जनता तक अपनी पहुँच इस स्तर तक नहीं बढ़ा पाते हैं तो यह उनके लिए आने वाले समय में एक बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा क्योंकि अब जनता भी इस तरह के लोगों को आगे लाने के रास्ते के बारे में जान चुकी है और देश में एक अच्छी शुरुवात तो हो ही गयी है पर पूरी परिस्थिति में यह भी देखने योग्य होगा कि क्या इस भीड़ में वास्तव में सेवा की भावना से काम करने वाले लोग भी आ रहे हैं या फिर से उन्हीं अवसर वादियों की पूरी फ़ौज़ इस रास्ते से भी फिर से अपनी नयी पीढ़ी को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश तो नहीं कर रही है.

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