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जन सहभागिता और शासन

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने अपने मंत्रियों के साथ बैठक में जिस तरह से स्वतंत्रता दिवस पर फेसबुक पर आयी एक युवक की टिप्पणी का उल्लेख किया और साथ ही राजस्थान सरकार की प्राथमिकतों के बारे में विस्तार से बात की आज इसी तरह के शासन की आवश्यकता है क्योंकि अभी तक जिस राजसी तरह से देश के नेताओं को जनता पर शासन करने की आदत रही है अब उससे दूर होने का समय आ गया है तभी देश के सही और हर स्तर के समग्र विकास की बातें सोची जा सकती हैं. ऐसा नहीं है कि जनता से जुड़ने की यह प्रक्रिया देश में पहले नहीं चला करती थी पर अब जिस तरह से देश में युवाओं का एक बड़ा और नया वोट समूह विकसित हो रहा है जिसमें पहले के मुक़ाबले शिक्षा और सूचना का सही प्रसार भी है तो उससे बचकर किसी के लिए अब सरकारें चलाने की बात करना एक बड़ा ख़तरा बनता दिखायी देने लगा है. दिल्ली में शीला दीक्षित ने जिस भागीदारी कार्यक्रम के दम पर जनता तक सरकार की पहुँच बनायीं छत्तीसगढ़ में तो रमन सिंह ने अपनी योजनाओं से विकास को बदलने की चेष्टा भी की है, ओडिशा में नवीन पटनायक जिस तरह से जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हैं यह अब देश में आम हो चला है.
आज के समय में सरकार चलाने के पुराने सीमिति तरीके से अब बाहर निकलने का समय भी आ गया है क्योंकि जब तक सभी राजनेता देश के विकास पर एकमत होकर काम नहीं करेंगें तब तक विकास केवल भाषणों तक ही सीमित रहने वाला है. आज सूचना और प्रौद्योगिकी के ज़माने में भी पुरातनपंथी तरीकों से सरकार चलाने की जुगत किसी भी तरह से सही नहीं ठहरायी जा सकती है क्योंकि आज जब सरकारों के पास जनता के साथ जुड़े रहने के बेहतर विकल्प मौजूद हैं तो उस स्थिति में भी ये अपने को जन सामान्य से दूर रख कर आख़िर किस तरह का शासन देना चाहते हैं यह बात समझ से बाहर भी है क्योंकि इस तरह से जनता से सीधा संवाद बनाये रखने पर उन्हें कोई विशेष खर्च भी नहीं करना पड़ेगा और लोगों के सीधे जुड़ाव से एक सबसे बड़ा लाभ यह भी होगा धरातल पर जनता के मन में क्या वास्तविक मुद्दे चल रहे हैं यह भी अपने आप में स्पष्ट हो जायेगा. देश के सरकारी कार्यालयों में बेहतर कार्य संस्कृति को बढ़ावा देकर भी पूरी समस्या से निपटा जा सकता है.
सरकारी कार्यालयों को जनता के और भी नज़दीक लाने की केंद्र सरकार की मोबाइल सेवा भी आने वाले समय में एक बेहतर संसाधन के रूप में सामने आ सकती है क्योंकि अभी तक जिन छोटे छोटे कामों के लिए जनता को कई कई बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं उससे जनता को बचाया जा सकेगा और साथ ही मानव श्रम के बेहतर प्रबंधन में भी मदद मिल सकेगी. आज किसी भी काम के लिए जिस तरह से लोगों को कई बार आना जाना पड़ता है उससे यह राहत तभी मिल सकती है जब केंद्र सरकार की मंशा के अनुरूप सभी राज्य सरकारें उसे अपने यहाँ पूरी तरह से लागू करने में दिलचस्पी दिखाएँ क्योंकि आज मनरेगा में कुछ राज्यों ने उल्लेखनीय प्रगति करके अपने नागरिकों को इस केंद्रीय योजना का भरपूर लाभ देने में सफलता पायी है तो वहीं बहुत से अन्य राज्य उनको आवंटित किये गए धन को उन बेरोज़गारों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं जिन्हें इसकी बहुत आवश्यकता है और इसमें यूपी जैसे राज्य के पिछड़ने से पूरे देश की प्रगति भी बाधित होती है क्योंकि यूपी की आबादी पूरे देश के हर आंकड़े को बिगाड़कर किसी भी राष्ट्रीय सूचकांक को नीचे लाने का काम सदैव ही करती रहती है. इसलिए अब देश को इस तरह की घटिया राजनीति से बाहर निकाल कर विकास के पथ पर आगे बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है.

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