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भारत – आम निगरानी और कानून

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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न्यूज़ीलैंड ने एक नए कानून के तहत अपने यहाँ की ख़ुफ़िया एजेंसियों को इस बात के पूरे अधिकार दे दिए हैं कि वे आवश्यकता पड़ने पर किसी भी आम नागरिक की जासूसी कर सकती है जबकि पहले ऐसा कानून केवल उन विदेशियों के लिए ही लागू था जो वहां के स्थायी निवासी नहीं थे. देखने में इस कानून से वहां के निवासियों को एक बार में बड़ा बंधन महसूस होगा और संभवतः वहां पर कुछ प्रदर्शन वगैरह भी किये जाएँ पर उससे परिस्थितियों में कोई परिवर्तन नहीं आएगा क्योंकि यह देश की सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए न्यूज़ीलैंड द्वारा उठाया गया एक क़दम मात्र है. भारत के संदर्भ में आज इस तरह के कड़े कानून की बहुत आवश्यकता है क्योंकि आम नागरिक के रूप में हमारी जो भी जिम्मेदारियां संविधान द्वारा तय की गयी हैं हम उनके अनुपालन में कहीं से भी अपने स्तर पर नहीं दिखाई देते हैं जिससे देश की सुरक्षा के लिए रोज़ ही नए नए संकट उत्पन्न होते रहते हैं और हम अपनी आदत के अनुसार केवल बातें ही करते रहते हैं ?
अब इनसे पार पाने के लिए इस तरह के कुछ कड़े उपायों पर भी विचार करने की बहुत आवश्यकता है क्योंकि इस्लामी चरम पंथी और नक्सली जिस तरह से देश में युवाओं को बरगलाने का काम करने में लगे हुए हैं उससे कहीं न कहीं देश के लिए सुरक्षा सम्बन्धी समस्याएं हमेशा ही सर उठाती रहती हैं और देश को अपनी आन्तरिक सुरक्षा पर इतना अधिक खर्च करने के बाद भी इस समस्या से निपटने की सही रणनीति बनाने में सफलता नहीं मिल पा रही है. भारत की छवि दुनिया के उन सॉफ्ट देशों में होती है जहाँ पर कानून बहुत सरल हैं और प्रतिरोध बहुत ही शालीनता से और कम मात्रा में किया जाता है पर अब देश के सामने जिस तरह की समस्याएं आ रही हैं तो उनसे पार पाने के लिए अब हमें कुछ कड़े उपायों पर विचार करना ही होगा क्योंकि करीम टुंडा को जिस तरह से सुरक्षा बलों ने नेपाल के साथ देश की खुली सीमा के दुरूपयोग करने के समय ही पकड़ा है वह भी चिंता का विषय है क्योंकि आज के समय में कश्मीर से घुसपैठ कर आना बहुत मुश्किल होता जा रहा है और इस परिस्थिति में नेपाल की खुली सीमा उनके लिए पूरे अवसर दिया करती है.
देश में इस तरह की किसी भी कोशिश को सबसे पहले राजनैतिक दलों का विरोध ही झेलना पड़ेगा क्योंकि वे ही सदैव से अपने उन अवैध वोटों की राजनीति के चलते इस तरह के किसी भी क़दम का विरोध करते नज़र आते हैं ? देश जब अपने नागरिकों को इतनी सुविधाएँ दे रहा है तो नागरिकों को भी उसके लिए कुछ त्याग करने के लिए तैयार होना ही चाहिए क्योंकि इस तरह के क़दमों से आम नागरिक के लिए भविष्य में जीना आसान हो जाने वाला है. अमेरिका में जब आतंकी हमले के बाद शुरू में कड़े सुरक्षा सम्बन्धी नियम लागू किये गए तो वहां भी लोगों ने हो हल्ला मचाया पर आज उन नियमों से किसी को भी कोई दिक्कत नहीं हो रही है तो इसके पीछे के कारणों पर विचार किए जाने की आवश्यकता है. जो नागरिक किसी भी तरह की ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं है तो उसके लिए इस कानून से कोई दिक्कत नहीं होने वाली है पर आतंकी संगठनों और संगठित अपराधियों के बड़ी मुश्किलें ज़रूर खड़ी हो सकती है ? अब भी समय है कि देश में भी इस तरह का एक प्रभावी और सख्त कानून बनाया जाए और साथ ही इस कानून का दुरूपयोग कर किसी को अनावश्यक रूप से परेशान करने को भी दंडनीय बनाया जाए जिससे जांचों के नाम पर आम लोगों के साथ अन्याय न होने पाए.

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