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पुलिस अभिरक्षा में मौत

***.......सीधी खरी बात.......***
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देश में जिस तरह से पुलिस अभिरक्षा में अभियुक्तों की मौत हमेशा ही होती रहती है उसी कड़ी में यूपी पुलिस पर एक बार फिर से उँगलियाँ उठनी शुरू हो चुकी हैं. फैजाबाद कचेहरी विस्फोट मामले में आरोपी ख़ालिद की जिस तरह से फैजाबाद से वापसी के दौरान रामसनेही घाट पर अचानक ही तबियत बिगड़ी और अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया वह देखने में पूरी तरह से संदिग्ध ही लगती है क्योंकि आख़िर ऐसा क्या हुआ कि यह आतंकी अचानक ही इस तरह से दुनिया छोड़कर चला गया ? इस तरह की बहुत सारी घटनाएँ देश में रोज़ ही होती रहती है जिनमें कई बार पुलिस अभिरक्षा से कैदी भाग भी जाते हैं और कई बार उनकी हत्या भी कर दी जाती है पर इस अभियुक्त समेत अन्य संदिग्ध मुस्लिम आरोपियों पर से केस वापस लेने की तैयारियों में लगी हुई अखिलेश सरकार के लिए यह बहुत बड़ा झटका है क्योंकि इन संदिग्धों के दम पर वह प्रदेश में मुस्लिम कार्ड खेलने के मूड में थी जिस पर कोर्ट ने पानी फेर दिया था पर मुख्या आरोपी की इस तरह की मौत की कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी इसलिए सभी इसे संदिग्ध भी मान रहे हैं.
इस तरह के किसी भी केस में पुलिस की हमेशा ही लापरवाही सामने आती है यदि इसमें कोई कोताही सामने आई तो यह सरकार इन पुलिसकर्मियों को दण्डित करने में भी नहीं चूकने वाली है वैसे ख़ालिद की मौत के पीछे क्या कारण रहे हैं इन्हें सार्वजनिक भी किया जाना चाहिए जिससे इस मसले पर अनावश्यक राजनीति भी न की जा सके क्योंकि कुछ वोट पाने के लालच में हमारे नेता किस हद तक जा सकते हैं यह हम सभी रोज़ ही देखते रहते हैं तो उस परिस्थिति में सही जांच होनी चाहिए जिससे सत्य को सामने लाया जा सके. पूरे प्रदेश में निर्दोष और पीड़ित अपनी बात को पुलिस तक पहुँचाने के लिए जिस तरह से भटकते रहते हैं और उन्हें न्याय नहीं मिल पाता है इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं होगा क्योंकि एक संदिग्ध आतंकी की सपा सरकार में पुलसी अभिरक्षा में मौत हुई है और इससे सपा के मुस्लिम वोट बैंक के साथ आगामी चुनावों की संभावनाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है जिसे दूर करने के लिए सरकार अपने पक्ष को साफ़ रखने की पूरी कोशिश करेगी.
पुलिस अभिरक्षा में किसी की स्वाभाविक मौत हो जाए तो उस परिस्थिति में कुछ भी नहीं किया जा सकता है पर वोट बैंक से जुड़े इस बड़े मसले पर सरकार भी चुप नहीं बैठने वाली है पर यहाँ पर सोचने का विषय यह है कि आख़िर हमारी पुलिसिंग में वो कौन सी कमी है जो हमें इस तरह के हादसों को नियमित तौर पर देखने के लिए मजबूर करती रहती है ? जब इतने बड़े अपराधी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है तो सरकार और पुलिस उनकी हर तरह की सुरक्षा के लिए ठोस क़दम क्यों नहीं उठाती हैं और इनकी मृत्यु के पीछे छिपे हुए रहस्य हमेशा ही दबे रह जाते हैं ? सरकार को इस तरह की किसी भी पूरी व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए जिससे क़ैदियों के इस तरह से मरने पर रोक लगाई जा सके और दोष साबित न हो पाने तक संदिग्धों को सही तरह से पुलिस अभिरक्षा में रखा जा सके. यह मामला दूसरों से अलग होने के कारण इतना महत्त्व भी पा गया वर्ना रोज़ ही प्रदेश में पेशी पर जाने वाले क़ैदियों के मामले में जिस तरह से नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं उनमें इनका जीवित रह जाना ही अपने आप में बड़ी उपलब्धि है.

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