Menu
blogid : 488 postid : 1183

वीआईपी सुरक्षा और जनता ?

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
  • 2165 Posts
  • 790 Comments

देश में जिस तरह से सामान्य प्रशासनिक कार्यों में मूर्छा की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है वह कहीं न कहीं से देश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण ही है क्योंकि राज्यों में जिन विधानमंडलों और केंद्र में संसद की परिकल्पना जिस उद्देश्य के साथ की गई थी आज वह पूरी तरह से विफल दिखाई देती है. किसी भी दिन के समाचार पत्रों में इस तरह की ख़बरें प्रमुखता से छपती रहती है कि सुप्रीम कोर्ट या किसी राज्य के हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार से स्पष्टीकरण माँगा है ? आख़िर क्या कारण है कि देश का राजनैतिक तंत्र उस सामान्य प्रशासन को भी ठीक ढंग से नहीं चला पा रहा है जिसके लिए देश उन पर भारी भरकम धनराशि खर्च करके उनसे बेहतर प्रशासन चलाने की आशा करता है और उनका काम बिलकुल भी स्तरीय नहीं कहा जा सकता है. क्या देश में राजनेताओं के सोचने का स्तर ऐसा हो गया है कि अब सामान्य प्रशासन और जनता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देने के लिए उनके पास समय ही नहीं है या फिर उनके पास अब वह दृष्टि ही नहीं बची है जिसके माध्यम से पहले कम संसाधनों के साथ नेता बहुत कुछ कर लिया करते थे.
सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारों से भी वीआईपी सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों की स्थिति के बारे में हलफ़नामे मांगे हैं उसके बाद अब सुरक्षा की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो रही है. हालाँकि अभी केवल १० राज्यों के ने ही अपनी स्थिति स्पष्ट की है जिससे पहली नज़र में यही लगता है कि कहीं न कहीं इस पूरी सुरक्षा व्यवस्था में नीतिगत कमी अवश्य ही है क्योंकि जिन पुलिस कर्मियों के आम लोगों की सुरक्षा में होना चाहिए वे केवल वीआईपी सुरक्षा करने में ही लगे रहते हैं जिससे पुलिस के सामान्य का काज पर बुरा असर पड़ता है और जब कभी कोई बड़ी घटना हो जाती है तो सभी लोग एकदम से पुलिस की नाक़ामी पर ही उँगलियाँ उठाने लगते हैं जिससे पुलिस का मनोबल और भी कमज़ोर होता है. इस स्थिति में जब पहले से ही देश में हर जगह मानक के अनुरूप पुलिस कर्मियों की तैनाती नहीं है फिर उसमें से भी आधे यदि वीआईपी सुरक्षा में लगा दिए जाएंगें तो पूरी सुरक्षा व्यवस्था की स्थितयों और परिदृश्य को समझा जा सकता है. केवल दिल्ली में ८००० पुलिस कर्मियों में से ३४०० वीआईपी सुरक्षा में लगे हुए हैं जिससे इस स्थिति को समझा जा सकता है.
इस बारे में सबसे पहले बहुत समय से लंबित पुलिस सुधारों को लागू किये जाने की दिशा में काम किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक पुलिस की संख्या के साथ उसके काम करने के तरीके और बेहतर माहौल की व्यवस्था नहीं की जाएगी तब तक किसी भी परिस्थिति में यह दृश्य नहीं सुधर सकता है. यह भी सही है कि आज विभिन्न तरह के ख़तरों के चलते वीआईपी लोगों की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है तो उसके लिए अब केंद्र सरकार को एक केन्द्रीय बल बनाना चाहिए या फिर आज के मौजूद केन्द्रीय सुरक्षा बलों में से पुलिस कर्मियों को चुनकर इस दिशा में काम करना चाहिए. जब देश में औद्योगिक सुरक्षा बल और सीमा सुरक्षा बल हो सकते हैं तो नेता सुरक्षा बल बनाने में क्या दिक्कत है क्योंकि देश में नेताओं का गनर लेकर चलने का मोह अभी किसी भी दशा में समाप्त होने नहीं जा रहा है उस स्थिति में यदि छोटे स्तर पर भी किसी नेता को सुरक्षा चाहिए तो वह अपने दल के नेताओं की संस्तुति पर आसानी से गनर पा जाता है जबकि इनसे देश का किसी भी स्तर पर भला नहीं होता है. इस विशेष सुरक्षा बल से नेताओं को आवश्यकता पड़ने पर भुगतान करने पर गनर देने की व्यवस्था कर दी जानी चाहिए और उसे उनके वेतन भत्ते में से ही काट लिया जाना चाहिए जिससे देश पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ेगा और सुरक्षा परिदृश्य भी सुधारने में मदद मिल सकेगी.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh