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आधार कार्ड और योजनाएं

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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केंद्र सरकार द्वारा आने वाले समय में सभी तरह की केन्द्रीय योजनाओं और अन्य तरह के पहचान के लिए जिस तरह से आधार संख्या को महत्व दिया जा रहा है उसकी बहुत आवश्यकता थी क्योंकि अभी तक पूरे देश में कहीं पर भी इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी जिससे कहीं स एभ नागरिकों के बारे में सही जानकारी प्राप्त की जा सके. देश में रोज़ ही पहचान से जुडी विभिन्न तरह की जो समस्याएं सामने आती रहती हैं उनसे निपटने के लिए भी इस तरह की कोई व्यवस्था बहुत कारगर ही सकती है पर अन्य सरकारी योजनाओं की तरह इसने भी एक बार तो तेज़ी पकड़ी पर अब फिर से इसमें सुस्ती देखी जा रही है. अभी तक आंकड़ों के अनुसार केवल १९ करोड़ लोगों को ही ये संख्या दी जा सकी है इसका मतलब तो यही है कि अभी भी देश के बहुत बड़े हिस्से तक इसकी पहुँच ही नहीं हो पायी है जिससे केंद्र की विभिन्न योजनाओं में नकद सब्सिडी की योजना को पूरी तरह से २०१३ में लागू करने की मंशा पर भी पानी फिर सकता है ? पूरे देश में इसे लागू करने के लिए अब चुनाव में वोट बढ़ाने की तर्ज़ पर इसको लिए जाने की आवश्यकता है जिससे यह काम समय रहते पूरा किया जा सके.
देश को किसी भी काम को शुरू करने के लिए जिस इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है वह अभी तक कहीं से भी दिखाई नहीं देती है और राज्य सरकारों को भी इसमें जितनी दिलचस्पी दिखानी चाहिए उसमें भी वे पीछे ही रह रही हैं. जब इतनी महत्वकांक्षी परियोजना को पूरा करने में ही राज्य सरकारों का रुख ऐसा है तो यह आसानी से समझा जा सकता है कि देश में विकास की वह रफ़्तार आख़िर क्यों नहीं आ पाती है जिसकी हमें ज़रुरत होती है ? देश को इस तरह की किसी परियोजना की बहुत आवश्यकता शुरू से ही थी पर इसको भी जिस तरह से केवल औपचारिकता के तौर पर लिया गया उससे भी कई तरह की समस्यायों ने जन्म लिया है. कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर बहुत अच्छे प्रयासों से अपने यहाँ पर नागरिकों को ये संख्या उपलब्ध करा भी दी है फिर भी बहुत सारे लोग आज भी इस तरह की किसी भी सुविधा के बारे में जानते भी नहीं है. यह अच्छा ही है कि केंद्र सरकार अपनी योजनाओं को इस संख्या से जोड़ रही है क्योंकि इसके बाद अब राज्य सरकारों पर यह दबाव अपने आप ही आ जायेगा कि यदि उन्हें भी अपने नागरिकों को सुविधाएँ देनी हैं तो इस योजना को पूरे मन से लागू करवाने में केंद्र की मदद करनी ही होगी.
देश में देश के लिए स्वेच्छा से कुछ करने के स्थान पर हमेशा ही दबाव की नीति का इस्तेमाल करना पड़ता है जिसके कारण भी अनमने ढंग से बहुत सारी बातें लागू की जाती हैं और इस तरह से जिन बातों को आगे बढ़कर स्वीकार किया जाना चाहिए उन्हें भी केवल दबाव पड़ने पर ही स्वीकार किया जाता है. इस तरह की किसी भी महत्वपूर्ण परियोजना के क्रियान्वयन में राजस्व विभाग की छोटी इकाइयों की सही मदद लेकर पूरी तेज़ी से काम किया जा सकता है क्योंकि जब तक निचले स्तर के कर्मचारी इसमें सहयोग और जागरूकता पैदा नहीं करेंगें तब तक पूरी योजना को सफल नहीं माना जा सकता है. साथ ही नागरिकों की भी यह ज़िम्मेदारी निर्धारित की जानी चहिये जिससे वे भी उस समय सीमा में अपने पहचान प्रपत्रों को जमा कर निर्धारित औपचारिकतायें पूरी करें और इसमें असफल होने पर उन्हें एक बड़ा शुल्क लेकर ही यह पहचान संख्या दी जाये जिससे उन पर भी यह दबाव बने कि इसे बनवाने में उनकी भी बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है. आज हर अच्छे काम को केवल सरकार का काम मानकर देश जी रहा रहा है जबकि सरकार की कोई भी योजना केवल नागरिकों के लिए ही तो बनायीं जाती है और इसमें सहयोग करने की ज़िम्मेदारी हम सभी की बनती है. देश में अपनी पहचान को सुनिश्चित कर अब हम सभी देश की पहचान को मज़बूत बनाने के इस काम में पूरे मनोयोग से लग जाएँ.

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