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घरेलू गैस किसके लिए ?

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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पेट्रोलियम मंत्रालय ने जिस तरह से आम घरेलू गैस उपभोक्ताओं के लिए एक पारदर्शिता पोर्टल की शुरुआत की है उससे आम गैस उपभोक्ता अपनी उन शिकायतों की सच्चाई को जान सकता है जिसके कारण उसे समय से गैस नहीं मिल पाती है और साथ ही वह यह भी देखा सकता है कि उसे साल भर में कितनी गैस दी गयी क्योंकि इस तरह की शिकायतें भी सामने आई हैं जिसमें कई बार उपभोक्ता के नाम पर गैस दी गयी है जबकि उस उपभोक्ता तक वह गैस पहुंची ही नहीं और उसे कालाबाज़ारी के ज़रिये खुले बाज़ार में बेच दिया गया है. अभी तक जनता के पास ऐसा कुछ भी नहीं था जिसके माध्यम से वह अपनी गैस के बारे में कुछ सही जानकारी पा सके पर अब यह स्थिति पलट गयी है और पूरी जानकारी नेट पर उपलब्ध करा दी गयी है. सबसे मज़ेदार बात यह है कि इस पोर्टल से यह भी पता चला कि भले ही जनता को गैस की किल्लत रहती हो पर ये गैस विपणन एजेंसियां माननीयों पर हमेशा से ही मेहरबान रहा करती है.
ज़रा इन आंकड़ों पर भी एक नज़र डालिए कि हमारे माननीय किस तरह से गैस का उपयोग करते हैं, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को एक साल में १७१ रिफिल दिए गए तो वहीं पेट्रोलियम राज्य मंत्री आर पी एन सिंह को ३७, शाहनवाज़ हुसैन ५६, राजनाथ सिंह ८०, विजय बहुगुणा ८३, मुलायम सिंह ५८, मायावती ४६ सिलेंडरों के उपयोग एक साल में कर चुके हैं और सबसे मज़ेदार बात यह है कि जेल में होने के बाद भी ए राजा के खाते में ४७ सिलेंडर चढ़े हुए है जबकि आम उपभोक्ता को गैस देने में ये एजेंसियां हमेशा ही आना कानी करती रही हैं ? इन नेताओं को अगर इस तरह से गैस उपलब्ध करायी जा रही है तो उसमें कुछ भी ग़लत नहीं है क्योंकि नेताओं को अपने पास आने वालों के बारे में भी सोचना होता है फिर भी आम उपभोक्ता को गैस देने में आना कानी क्यों की जाती है ? किसी माननीय को कोई सुविधा दी जाये जनता इसकी विरोधी नहीं है पर जब जनता को गैस जैसी मूलभूत वस्तु चाहिए हो तो कम से कम उसे तो समय से वह मिलनी ही चाहिए पर देश में नेताओं की अपने को कुछ अलग दिखकर अपने को दिखाने की चेष्टा आम जनता को बहुत बुरी लगती है.
इस तरह की पारदर्शिता के बाद जहाँ एक तरफ गैस एजेंसियों के लिए मनमानी करना उतना आसान नहीं रह जायेगा वहीं आम उपभोक्ताओं को कुछ राहत तो अवश्य ही मिलेगी. सरकार ने इस क्षेत्र में जो पहल की है इसके बारे में नागरिकों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है क्योंकि अधिकतर ऐसी सुविधाओं के बारे में लोग जान ही नहीं पाते हैं जिस कारण से भी कई स्तरों पर भ्रष्टाचार फैलता रहता है ? अब जब सरकार ने इस तरह की पहल कर ही दी है तो इस बारे में जनता को जागरूक करने के लिए एजेंसियों को भी निर्देशित किया जाना चाहिए क्योंकि जब तक सही दिशा निर्देश नहीं दिए जायेंगें तब तक कुछ भी सही नहीं किया जा सकता है. इस तरह की धांधलियों को रोकने इस तरह के प्रयास पूरी तरह से कारगर तो नहीं हो सकते हैं फिर भी इनसे कालाबाज़ारी करने वाली एजेंसियों पर कुछ दबाव तो अवश्य ही बनने वाला है जो अंत में उपभोक्ताओं के लिए ही सुखद साबित होगा.

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