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Jagran Junction Forum क्या राहुल का प्रचार बदल देगा कांग्रेस का भाग्य?

***.......सीधी खरी बात.......***
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राहुल गाँधी के बारे में जिस तरह से लोग कुछ भी कहने में लगे हुए हैं उससे यही लगता है कि देश के एक विशेष बुद्धिजीवी वर्ग ने उनके बारे में पहले से ही अपनी राय बना रखी है. जहाँ तक बात उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के दिन बहुरने की है तो उसके लिए अभी भी इसी तरह से कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है. फिलहाल एक नए तरीक़े से राहुल ने जो भी प्रयास किये हैं उससे कम से कम राजनैतिक विश्लेषक प्रदेश में कांग्रेस को लोग कहीं न कही से अब लड़ाई में तो मानने लगे हैं. यह सही है कि प्रदेश में सपा और बसपा के पास जितना बड़ा काडर है आज वह अन्य किसी दल के पास नहीं हैं और इसमें भी बसपा सबसे आगे है क्योंकि उससे जुड़े हुए ज़मीनी स्तर के लोग नीतियों के चलते पार्टी में हैं और उन्हें किसी व्यक्तिगत लाभ से सरोकर नहीं है. कांग्रेस जिसके पास पिछले २० वर्षों में ऐसी स्थिति आई कि उसके पास खोने के लिए कुछ बचा ही नहीं ? आज अगर राहुल २००७ की हार और २००९ की अप्रत्याशित सफलता के बाद भी प्रदेश की राजनीति में टिके हैं तो इससे किसी को क्या आपत्ति है ? अभी शायद उत्तर प्रदेश को बिहार की तरह जाति और धर्म के बंधन तोड़ने में कुछ समय और लगे पर इस तरह के परिवर्तन करने के लिए अगर राहुल आगे आये हैं तो इसमें क्या गलत है ? सफलता असफलता अलग बात है पर किसी बड़े काम के लिए सही दिशा में प्रयास किये जाने से किसी को क्यों परेशानी है ? यह भी सही है कि प्रदेश में कांग्रेस के पास नेताओं की भीड़ तो है पर उनके पास अपने क्षेत्रों में चुनाव जीतना भी मुश्किल है क्योंकि वे आज भी केवल दिल्ली में बैठे अपने आकाओं को साधने में भरोसा रखते हैं ?
अगर राहुल इस बार के नतीजों से प्रभावित हुए बिना भी इसी तरह से प्रदेश में लगे रहते हैं तो यह देश और प्रदेश दोनों के लिए अच्छा होगा क्योंकि इससे उन्हें प्रदेश के बारे में ज़मीनी हकीकत जाने का अवसर मिलता रहेगा और समय आने पर इससे जुडी नीतियों को बनाए जाने में इसका लाभ लिया जा सकता है. प्रदेश को राहुल, अखिलेश जैसे युवा नेताओं की आवश्यकता है और इनके किसी भी प्रयास से अंत में प्रदेश की जनता को ही लाभ मिलने वाला है. ऐसा क्यों है कि आज भी कुछ लोग राहुल को एक सामान्य नेता की तरह नहीं ले पते हैं ? उन्होंने जो भी प्रयास पिछले कई वर्षों में किये हैं उनकी तरफ क्यों नहीं देखा जाता है ? क्यों हर व्यक्ति उनसे यह आशा लगता है कि अगर वे प्रदेश में काम कर रहे हैं तो कांग्रेस को बहुमत से कम कुछ भी नहीं मिलना चाहिए ? इस देश में लोकतंत्र है और जनता जिसे चाहेगी उसे आगे लाएगी फिर इसके विश्लेषण की बातें कुछ लोग राजधानियों में बैठकर कैसे कर सकते हैं ? देश को इस बात के लिए खुश होना चाहिए कि सबसे बड़े प्रदेश में कम से कम युवा नेता लोग आगे आकर जनता से मिल तो रहे हैं जिससे जनता को भी यह लग रहा है कि आने वाले समय में कुछ हो न हो प्रदेश और देश को समझने वालों के पास सत्ता जाने वाली है. एक चुनाव से किसी का आंकलन करना ठीक नहीं होता कांग्रेस के साथ आज भी पुरानी वाली दिक्कत है कि वहां पर कुछ लोगों को साधकर अपने हितों को पूरा करने वाली जमात अभी भी है. सोनिया के हाथ कांग्रेस की कमान आने के बाद से जिस तरह से प्रदेश में मेहनत करने वाले नेताओं को सरकार चलाने का ज़िम्मा सौंपा गया है उससे पार्टी में लोकतंत्र को मजबूती ही मिली है. राहुल ने जिस तरह से अपने को प्रतीक्षा करते हुए मेहनत के साथ राजनीति से जोड़ा है उससे भले ही इस बार सब कुछ न बदला पर प्रदेश के कांग्रेसियों को बदलने के लिए मजबूर होना ही होगा. परीक्षा में बहुत सारे लोग बैठते हैं और कई बार मेहनत के अनुरूप परिणाम नहीं आता है पर उसके बाद अच्छी तैयारी की ज़रुरत होती है जिसे करने के लिए राहुल तैयार दिख रहे हैं जो पार्टी और देश के लिए शुभ संकेत है.

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