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आधार और पासपोर्ट

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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विशिष्ट पहचान संख्या “आधार” के बारे में भले ही आज देश में कुछ विभागों के कारण असमंजस की स्थिति बन गयी है पर इसके प्रमुख नंदन नीलकेणी आज भी इसके भविष्य को लेकर आशान्वित हैं क्योंकि उनके द्वारा प्रस्तावित इस पूरे कार्यक्रम में भारतीय नागरिकों को ऐसी सुविधा मिलने जा रही है जो आज तक नहीं थी. इसकी प्रामाणिकता के बारे में नंदन बताते हैं कि यह केवल देश में ही नहीं वरन विदेशों में भी किसी भारतीय का पासपोर्ट गुम हो जाने की स्थिति में उसकी समस्याओं को जल्दी ही कम करने का काम करेगा. आज विदेश यात्रा के समय पासपोर्ट गुम हो जाने की स्थिति में बहुत बड़ी समस्या हो जाती है पर इस संख्या के द्वारा कोई भी भारतीय विदेश में पुलिस को सूचित कर सकता है और इसके ही आधार पर भारतीय दूतावास शीघ्र ही उस व्यक्ति की पहचान को बता देगा जिससे विदेशों की यात्रा के समय अनावश्यक रूप से होने वाली परेशानियों से बचा जा सकेगा. इस विशिष्ट पहचान संख्या के माध्यम से देश में मिलने वाले लाभों के साथ विदेश में भी इस तरह की मदद के बारे में अभी तक किसी को जानकारी नहीं थी पर भारत सरकार जब इस संख्या को पूरी तरह से पहचान के रूप में मान्यता दे ही चुकी है तो इसका पूरी तरह से उपयोग भी किया जाना चाहिए.
अगर इसे समयबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जाये तो देश के अन्दर भी भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से निपटने में भी यह काफ़ी कारगर होने वाला हथियार बन सकता है क्योंकि आज के समय में देश में बनने वाली योजनायें सिर्फ इसलिए ही सफल नहीं हो पाती हैं क्योंकि उनके बारे में जो कुछ कहा जाता है उस स्थिति में सही लाभार्थियों को चुन पाना ही आज के समय में सबसे बड़ी चुनौती है. देश में निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों और कार्यालयों में जिस तरह से भ्रष्टाचार ने अपने पाँव जमा रखे हैं उससे निपटने में भी यह महत्वपूर्ण दिशा निर्धारित कर सकता है. आज जिस तरह से विभिन्न योजनाओं में पैसा नीचे की तरफ़ जाता है उसका पूरा लाभ वंचितों तक नहीं पहुँच पाता है जिसका खामियाजा आज़ादी के बाद से ये भुगतते रहे हैं. इस संख्या के द्वारा बैंक में खाता खोलने में भी ग्राहक की सही पहचान पता चल पायेगी और वह व्यक्ति किस तरह की योजनाओं से लाभ पाने का पात्र है यह बात भी सामने आ जाएगी जिससे सरकार सही व्यक्ति के खाते में पूरी धनराशि पहुंचा सकेगी और बीच में दलाली के माध्यम से गरीबों को परेशान करने वालों पर भी अंकुश लग सकेगा.
अब इस बात की आवश्यकता है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना को समय रहते पूरा किया जाये और इसके लिए धन की व्यवस्था अतिशीघ्र की जाये क्योंकि इस पर एक बार में जो धन लगने वाला है भविष्य में उससे कहीं अधिक धन यह परियोजना बचाने वाली भी है. अब इस मसले पर केवल राजनैतिक कारणों से होने वाले विरोध को पूरी तरह से नज़रंदाज़ किया जाना चाहिए और आने वाले समय में इस परियोजना के साथ देश को आगे बढ़ाने का काम किया जाना चाहिए. आज अगर इसका विरोध किया जा रहा है तो उसके पीछे केवल यही मुख्य कारण है कि इसके माध्यम से नेताओं और अधिकारियों की निरंतर चलने वाली दुकाने बंद हो सकती है और जनता के लिए अच्छे दिन आ सकते है. देश में लोकपाल की जितनी ज़रुरत है उतनी ही इस परियोजना की भी क्योंकि लोकपाल के लिए हमेशा ही बहुत अधिक धन और संसाधनों की आवश्यकता पड़ेगी जबकि इस परियोजना में एक बार धन लग जाने के बाद केवल देश की जनसख्या में जुड़ने वाले नए बच्चों के लिए ही इसे बनाने की आवश्यकता रहेगी. अब देखना यह है कि संसद में कुछ नेता केवल कानूनी दांवपेंच का सहारा लेकर इसे रोकने का प्रयास करते हैं या फिर इसे अपनी गति से बनने देते हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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