Menu
blogid : 488 postid : 672

तत्काल सुविधा

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
  • 2165 Posts
  • 790 Comments

आख़िरकार देर से ही सही पर रेल मंत्रालय को यह दिखाई तो दिया कि इन्टरनेट से टिकट बुक करने में बहुत बड़ी धांधली की जा रही है और इससे निपटने के लिए ही रेलवे ने पूरी तरह से तत्काल के नियमों में परिवर्तन करने का जो कदम उठाया है वह सही है. अब नए नियमों के तहत तत्काल बुकिंग केवल २४ घंटे पहले ही खुलेगी जिससे लोगों को कुछ परेशानी तो होगी पर जिस तरह से बड़ी मात्रा में इस कोटे में धांधली मचाई जाती थी उस पर भी अंकुश लग सकेगा. अभी तक जिस तरह से रेलवे में कोटे का सिस्टम चल रहा है उसमें बहुत व्यापक स्तर पर घोटाले की सम्भावना हमेशा ही बनी रहती है जिसका कुछ रेल कर्मियों से मिलकर दलाल लाभ उठाते रहते रहते थे. ऐसा नहीं है कि इन नए नियमों के बाद इस तरह की समस्या पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी क्योंकि आख़िर में काम तो किसी न किसी को करना ही है और भ्रष्टाचार के इस ज़माने में कोई न कोई भ्रष्टाचारी कहीं न कहीं से कोई नयी तरकीब निकाल ही लिया करते हैं.
इस तरह की बुकिंग में रेलवे अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर रहा है कि घोटाले बंद हों पर आज भी कुछ धन के लालच में अचानक ही यात्रा करने वाले लोगों को किसी भी प्रकार से टिकट दिलाये जाने के काम को बखूबी अंज़ाम दिया जा रहा है. रेलवे के पास बहुत बड़ी मात्रा में कर्मचारी और संसाधन उपलब्ध हैं अभी तक जिस तरह से सारा आरक्षण आदि का काम चंद लोगों के हाथों में सिमटा हुआ है उसके स्थान पर इसे अब आम लोगों के लिए भी खोल दिया जाना चाहिए जिससे रेलवे में भ्रष्टाचार में कमी आएगी और साथ ही यात्रियों को भी आसानी हो जाएगी. आज रेलनेट पूरे देश में पहुंचा चुका है बस आवश्यकता है इसे पूरी क्षमता के साथ प्रयोग में लाने की. सबसे पहले प्रयोग के तौर पर कुछ बड़े स्टेशनों और प्रमुख गाड़ियों में भी उस कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे यात्री वहां पर केवल अपने बैंक के खाते की जानकारी डालकर ही सीधे टिकट खरीद सकें और इसकी सूचना या टिकट के रूप में केवल मोबाइल का सन्देश ही वैध माना जाये जिससे कीमती कागज़ भी बच पायेगा और संसाधनों का अच्छा उपयोग भी हो पायेगा. टीटी के पास टैबलेट पीसी होना चाहिए जिससे वह सीधे ही नेट की बुकिंग करके यात्रियों को टिकट दे सके इससे रेलवे को भी यह पता चल पायेगा कि कौन सी गाड़ी में कितनी सीटें ख़ाली जा रही हैं और यात्री उनका आरक्षण कहीं से भी प्राप्त कर अपनी यात्रा को सुगम बना सकते हैं.
प्लेटफार्म पर भी सीधे टिकट बुक करने की सुविधा भले ही कमीशन के आधार पर शुरू कि जाये पर शुरू कर देनी चाहिए वहां पर चाय आदि के काउंटर की तरह या फिर हैण्ड हेल्ड डिवाइस के माध्यम से टिकट बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाये जिससे अगर कोई अचानक ही कहीं जाना चाहता है तो उसे समय से टिकट मिल सके और वह टिकट की लाइन में ही खड़े रहकर अपनी गाड़ी को जाते हुए न देखे. इससे दो लाभ होंगें एक तो लोगों की भीड़ टिकट खिड़कियों पर कम हो जाएगी जिसका सीधा लाभ रेलवे, पुलिस और जनता को मिलेगा. फिर भी अभी तक जिस तरह से सुधार चल रहे हैं उससे यही लगता है कि हो सकता है कि इस तरह के विचार आने वाले समय में सभी जगह वास्तव में मूर्त रूप ले सकें. इन छोटे छोटे क़दमों से जहाँ एक तरफ़ रेलवे की आय बढ़ेगी वहीं यात्रियों को सुविधा भी होगी. नए नियमों में तत्काल का दूसरा टिकट जारी करने पर जिस तरह से पाबन्दी लगायी गयी है वह ग़लत है पर ऐसी स्थिति में नेट से लिए गए टिकट के दूसरे प्रिंट को वैध माना जायेगा या नहीं अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. फिलहाल नए नियमों से कुछ हद तक एजेंटों के स्तर पर चलने वाला भ्रष्टाचार कम हो पायेगा पर ख़ुद रेल कर्मियों के द्वारा किये जाने वाले भ्रष्टाचार के बारे में इसमें कुछ खास नहीं है.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh