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कसाब और पाक

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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पाक ने मालदीव में जिस तरह से २६/११ के हमलावर अजमल कसाब को फाँसी देने की वकालत की उससे यही लगता है कि अब वह पूरी दुनिया का ध्यान इस बात से हटाना चाहता है और यह सिद्ध करना चाहता है कि वह भी किसी भी तरह के आतंक के ख़िलाफ़ है पर यहाँ पर वह यह बात भूल जाता है कि अजमल कसाब मात्र एक मोहरा था और उसके पीछे के शातिर दिमाग वाले लोग जिन्होंने इस्लाम के नाम पर कसाब जैसे न जाने कितने मासूमों को इस पीड़ा तक धकेल दिया है आज भी पाक में आसानी से अपनी आतंकी गतिविधियाँ चलाने में लगे हुए हैं ? आज भी पाक में आतंकियों के प्रशिक्षण में कोई कमी नहीं आई है हाँ इतना अवश्य हुआ है कि लादेन के पाक में मारे जाने के बाद से उसने इनको खुले आम चलाना बंद कर दिया है. आज भी पाक में जिस तरह से आतंक के बीज बोये जा रहे हैं उससे यही लगता है कि पाक केवल दिखाने के लिए ही इस तरह की बातें कर रहा है. अगर वह पूरी तरह से कुछ करना चाहता तो सईद जैसे आतंकी आज पाक में शरण नहीं पाए होते और उनके ख़िलाफ़ कोई न्यायिक प्रक्रिया चल रही होती.
पाक में जिस तरह से केवल इस्लामाबाद तक ही सरकार और सेना का दखल रह गया है और बाक़ी पूरे पाक में आतंकियों ने अपनी मर्ज़ी के हिसाब से प्रशिक्षण केंद्र खोल रखे हैं उससे यही लगता है कि आज भी पाक के पास इन आतंकियों को रोकने की मंशा ही नहीं है. किसी भी देश या समाज की तरफ से कुछ सार्थक तभी किया जा सकता है जब वहां पर रहने वाले नागरिकों को पूरी मानव जाति से प्रेम करना सिखाया जाये पर आज जिस तरह से इस्लाम की कुछ लोग अपने हिसाब से मनमानी व्याख्या करने में लगे हुए हैं वह वास्तविक इस्लाम से बहुत दूर है. सबसे चिंता की बात यह भी है कि इस तरह की बातों के विरोध में इस्लाम के अनुयायियों को ही आगे आना चाहिए पर कहीं से कोई बड़ी आवाज़ नहीं उठती है और इक्की दुक्की आवाज़ों को ये आतंकी मानसिकता वाले चंद लोग निर्ममता से कुचल देते हैं जिससे और लोग सच कहने का साहस भी नहीं कर पाते हैं. अब भी अगर सही लोग सामने आये तो आने वाले समय में विश्व में इस्लाम को लेकर और अधिक शक़ बनता जायेगा जिसका नुकसान पूरी दुनिया को ही होने वाला है.
पाक अगर वास्तव में इस्लाम के अनुयायियों का हितैषी है तो उसे ही इस्लाम के वास्तविक स्वरुप को दुनिया के सामने लाने की कोशिश करनी चाहिए पर सेना और राजनेताओं के गठजोड़ ने अपनी सुविधा और लाभ के लिए धर्म का भी लाभ उठाने में कोई गुरेज़ नहीं किया जिसका असर आज पूरे पाक समेत अफ़गानिस्तान में भी दिखाई दे रहा है. जो संसाधन आतंकियों को दिए जाते रहे हैं और उनसे लड़ने में में सरकारी तंत्रों द्वारा जो कुछ भी किया जाता है उससे पूरी दुनिया की तस्वीर बदल सकती है पर जब केवल अपने हितों के लिए जाता और धर्म का दुरूपयोग किया जाता है तो इस तरह से ही कुछ दिखाई देने लगता है. धर्म को राजनीति से इतना नहीं मिलाना चाहिए कि लोग उसकी मनमानी व्याख्या करने में लग जाये जिस कारण से वास्तविक धर्म का कहीं पता न चले ? अब समय है कि पाक अपने यहाँ से भारत और पूरी दुनिया में आतंक का निर्यात करना बंद कर दे क्योंकि बिना इसके अन्य व्यापार में वह भारत को क्या दर्ज़ा देता है इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि अस्थिर रिश्तों पर चलने वाले व्यापार से पाक की कमज़ोर अर्थव्यवस्था और उद्योगपतियों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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