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इमरान की मंशा

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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क्रिकेटर से राजनेता बनने की फ़िराक़ में लगे इमरान खान ने एक बार फिर से पाकिस्तानी नेताओं की मजबूरियों के चलते भारत के खिलाफ ज़हर उगला है. इमरान को इस बात का कोई अंदाज़ा ही नहीं है कि भारत क्या कर सकता है और क्या नहीं ? यह कोई क्रिकेट का खेल नहीं है जिसमें एक सही गेंद पड़ने पर बड़े से बड़ा बल्लेबाज़ भी आउट हो जाया करता है यह देश को चलने की बातें हैं और इस तरह से जब विद्वेष से ही उनको अपनी पारी की शुरुआत करनी है तो आगे आने वाले समय में अगर वे कभी सत्ता में हुए तो किस तरह के रिश्ते रखने में सफल हो पायेंगें ? भारत की तुलना अमेरिका के सैनिकों से नहीं की जा सकती है क्योंकि देश भक्ति की जो भावना भारतीय सैनिकों में है उसकी पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं है और इमरान जैसे किसी क्रिकेटर के लिए वोट बढ़ाने के लिए ये बातें अच्छी हो सकती हैं पर वास्तविकता में कुछ करने के लिए इन बातों से कुछ भी नहीं हासिल होने वाला है.
इमरान यह पूछते हैं कि ७ लाख सैनिकों से भारत क्या कर लेगा ? अपने गिरेबान में झाँक कर देखो न कि इन सैनिकों के बल पर ही आज कश्मीर वास्तव में कश्मीर है वर्ना केवल सनसनी फ़ैलाने के लिए काम करने वाले इमरान जैसे नेताओं ने पाक अधिकृत कश्मीर का क्या हाल कर रखा है यह किसी से भी छिपा नहीं है ? आज भी पाक के लोग सर उठाकर नहीं जी सकते हैं जिन मुसलमानों ने पाकिस्तान के सपने के साथ और बेहतर भविष्य के साथ भारत को छोड़ा था आज उनके सपने को किसने तोड़ डाला है ? जब वे भारत में अपने रिश्तेदारों के यहाँ आते हैं और यहाँ की खुशहाली देखते हैं तो उन्हें अपने बड़ों की १९४७ में की गयी ग़लती का एहसास तो होता है और वे यह सोचते हैं कि वे लोग आख़िर पाकिस्तान गए ही क्यों थे ? क्या वास्तव में पाकिस्तान की ज़रुरत भी थी ? पाकिस्तान में मुसलमान ही मुसलमान को मार रहा है क्या जिन्ना ने इसी तरह के किसी पाकिस्तान की कल्पना की थी जहाँ कौम के लोग ही एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाने वाले थे ?
आज भारत को किसी इमरान की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि हमने सादगी और ईमानदारी से अपने रास्ते को तरक्की के राजपथ में बदल दिया है और हमसे अलग होकर पाकिस्तान ने नफरत और मुफलिसी के अलावा कुछ भी नहीं पाया है ? क्यों ? अगर इमरान को राजनीति करनी ही है तो वे विकास की बातें करें और भारत के खिलाफ ज़हर उगलने से बचें क्योंकि ये अफीम खाते खाते पाकिस्तान की एक पीढ़ी ख़त्म हो चुकी है और आज़ादी के बाद पैदा होने वाली पीढ़ी भी अपने ढलान पर है. अच्छा हो कि ये सच को सच की तरह से देखें ? कश्मीर के लोगों पर किसने अत्याचार किये ? पाकिस्तान के भेजे कबाइलियों ने कश्मीर का जो हाल किया था आज वही सब पाक के नेता और सेना कर रहे हैं ? अगर कश्मीर के लोगों से वास्तव में हमदर्दी और लगाव है तो पाक और उसके घटिया सोच वाले नेताओं को यहाँ पर आतंकी भेजने बंद करने चाहिए जिससे लोगों की जिंदगी कुछ आसान हो सके. आज भी पाक के नेताओं ने अपने अतीत से कुछ भी नहीं सीखा है और उनकी सीखने की इच्छा भी नहीं लगती है.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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