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पाक पर आरोप

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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अमेरिका के वरिष्ठतम सैन्य अधिकारी माइक मलेन ने पाक की ख़ुफ़िया एजेंसी पर एक बार फिर से खुले तौर पर आरोप लगाया है कि वह चरमपंथी हक्कानी गुट को पूरी तरह से हर संभव सहायता दे रही है. उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि हक्कानी गुट ख़ुफ़िया एजेंसी की ही के शाखा के रूप में काम कर रहा है और साथ ही इसे पाक के सैन्य अधिकारीयों का भी समर्थन हासिल है. यह वही बात है जिसको भारत हमेशा से ही कहता चला आया है कि पाक पूरी तरह से भारत में अस्थिरता फ़ैलाने में शामिल है और इसके साथ ही वह वैश्विक इस्लामी चरमपंथियों की भी मदद करता रहता है. जिस तरह से पाक हमेशा से ही इस तरह की आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों को मदद देता है वह किसी से भी छिपा नहीं है पर अभी तक अमेरिका इस बात को खुले तौर पर स्वीकार करने के स्थान पर पाक को और अधिक सैन्य और आर्थिक मदद देने की फ़िराक़ में ही रहा करता है.
जब से अमेरिका ने पाक में घुसकर ओसामा को मौत के घाट उतारा है तभी से पाक उसकी नज़रों में चढ़ा हुआ है पर आज के समय में वह अपनी आतंक के खिलाफ लड़ाई में पाक पर इतना अधिक निर्भर है कि वह चाह कर भी एकदम से पाक को नहीं छोड़ सकता है. आने वाले समय में पाक की तरफ से सहायता मिलते रहने से ये आतंकी गुट और भी अधिक मज़बूत हो जाने वाले हैं जिससे पाक और अफ़गानिस्तान में अमेरिका के लिए नयी मुसीबतें आने वाली हैं. अभी तक जिस तरह से अमेरिका ईराक़ से निकलना चाहता है पर वहां पर इन्हीं आतंकी गुटों के कारण वह पूरी तरह से नहीं हट पा रहा है उसी तरह से उसके लिए पाक से भी निकलना कठिन होने वाला है. अब पाक अमेरिका के लिए एक नया सरदर्द बनने वाला है जो कि निकट भविष्य में इसे बहुत परेशान करेगा अगर आज भी अमेरिका को यह नहीं दिखाई देता है तो वह बहुत बड़े नुकसान को झेलने के लिए तैयार रहे.
दुनिया और अमेरिका खुद अपने यहाँ बनते पाक विरोधी माहौल को भांपने के कारण ही इस तरह की बातें किया करता है आज एशिया में अमेरिका को चीन और भारत की तरफ से कड़ी चुनौती मिल रही है जिससे पाक में उसे अपनी उपस्थिति बनाये रखने की मजबूरी भी है और आवश्यकता भी पर जिस तरह से अभी तक वह पाक की हर ग़लत हरक़त पर चुप रहा करता है अगर उसने अब भी यही नीति अपनाये रखी तो आने वाले समय में अमेरिका के लिए नुकसान का आंकलन करना भी मुश्किल हो जाने वाला है ? अब समय है कि अमेरिका केवल बोलने के स्थान पर पाक को यह समझाने का प्रयास भी करे कि उसे अब सुधारना ही होगा क्योंकि अब इस तरह की परिस्थिति में काम करने पर होने वाले नुकसान के बारे में अमेरिका अपने नागरिकों को क्या जवाब देगा ? हो सकता है कि निकट भाविष्य में वह फिर से ओसामा को मारने की तरह और भी अभियान चलाकर चरमपंथियों का मनोबल तोड़ने की कोशिश करे जिसे पाक कभी पसंद नहीं करेगा अपर अब अमेरिका के पास और रास्ते भी कितने बचे हैं ?

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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