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गंगा अब कूड़ेदान ?

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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आस्ट्रेलिया में एक रेडियो एंकर द्वारा गंगा को कूड़ेदान और भारत को बेकार जगह कहे जाने का विवाद बढ़ता ही जा रहा है. इस मामले पर वहां पर बसे भारतीयों ने अपना कड़ा विरोध जताया है और इस पूरे मसले पर सम्बंधित एंकर से माफ़ी मांगने को भी कहा है. ऐसा न करने पर यह मसला वहां की प्रसारण नियामक संस्था के समक्ष उठाये जाने की धमकी भी दी है. सवाल यह है की आज कर आस्ट्रेलिया में ऐसा क्या हो रहा है जिससे वहा के लोग इस तरह से भारतीयों और भारतीय सम्मान से जुडी बातों पर इस तरह से आक्रामक हुए जा रहे हैं. पूरी दुनिया में भारतीयों को शांतिप्रिय माना जाता है और कहीं पर भी किसी भी तरह की अराजक गतिविधि में लिप्त नहीं रहते हैं फिर ऐसा क्या है कि आस्ट्रेलिया के लोग हमें आसानी से पचा नहीं पा रहे हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं कि भारतीयों की मेधा शक्ति के आगे आस्ट्रेलिया के लोग पिछड़ रहे हैं इसलिए ही वे हताशा में कुछ इस तरह से भारतीय सम्मान से जुड़ी बातों को लेकर अपमान करने से नहीं चूक रहे हैं.
कहीं ऐसा तो नहीं कि भारतीय समुदाय के कुछ लोग ही वहां पर ऐसी हरकतें करके लोगों को भारत के ख़िलाफ़ भड़कने का अवसर दे रहे हैं ? कहीं न कहीं से वहां बसे भारतीय समुदाय के मंथन करने का समय है क्योंकि जब तक हम अपनी कमी को ढूँढने का प्रयास नहीं करेंगें तब तक यह निश्चित नहीं हो पायेगा कि आख़िर ग़लती कहाँ से हो रही है और बिना इसका सही कारण जाने हम इसको दूर कर पाने में भी सफल नहीं होने वाले हैं. भारत के लोगों को आम तौर पर पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है फिर भी कहीं न कहीं से इस तरह की बातें उठाये जाने के पीछे कोई कारण तो अवश्य ही होगा. जहाँ तक गंगा को कूड़ेदान कहने का सवाल है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि आज की तारीख़ में हम भारतीयों ने अपनी पुण्य सलिला, मोक्ष दायिनी और पवित्रतम नदी को गन्दा करने में कोई कसंर नहीं छोड़ी है और आज भी हम इसके प्रति जागरूक नहीं हो पाए हैं जिस कारण से ही कुछ लोग इस तरह से अपमानजनक बातें करने में सक्षम हो पा रहे हैं.
क्या हुआ अगर किसी विदेशी ने हमें सच्चाई का आइना दिखा दिया तो इससे क्या भारत की प्रतिष्ठा घट गयी ? अभी तक जब हम स्वयं ही अपनी इस पुण्य नदी के बारे में कुछ सोच नहीं पाए हैं तो फिर आगे आने वाले समय में अगर दूसरे इस बात को हमसे बताते हैं तो हमें बुरा क्यों लगता है ? आज वास्तव में गंगा की जो हालत है वह किसी विदेशी ने नहीं की है वह सिर्फ और सिर्फ हमारी ही ग़लती है और अब जब सच्चाई से हमारा वास्ता पड़ रहा है तो हम दूसरों पर ऊँगली क्यों उठा रहे हैं ? दुनिया में हर तरह के लोग रहते हैं और इस तरह से किसी के भी बारे में कुछ भी कहने और करने वाले बहुत सारे लोग हैं जो किसी पूर्वाग्रह के चलते दूसरों को ठेस पहुँचाना चाहते हैं पर इससे उनकी सोच का ही पता चलता है. भारत के बारे में पूरी दुनिया में जो भी भ्रांतियां अगर हैं तो उन्हें दूर करने का उत्तरदायित्व भी हम भारतीयों का है और अपनी धरोहर गंगा को अगर हम साफ़ रख सकने में सफल हुए होते तो कोई इस नदी को कूड़ेदान कहने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाता.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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