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घोटालेबाजों की पहुँच

***.......सीधी खरी बात.......***
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उत्तर प्रदेश में किस हद तक जंगल राज कायम हो चुका है इस बात की पूरी तस्वीर लखनऊ जेल अस्पताल में चर्चित सीएमओ हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त डॉ सचान की संदिग्ध मौत से स्पष्ट हो जाता है. जिस तरह से पुलिस अभिरक्षा में जेल में इस काण्ड के सूत्रधारों ने डॉ सचान को मौत की नींद सुला दिया है उससे तो यही लगता है कि आने वाले समय में अब इस मामले पर राज्य सरकार की लीपा पोती की नीति के चलते कुछ भी नहीं हो पायेगा और यह मामला भी किसी तरह से ठन्डे बसते में चला जायेगा. आज भी जिस तरह से स्वस्थ्य विभाग से जुड़े इस मसले में सरकार उचित जांच की मांग को ठुकरा रही है उससे तो यह लगता है कि कहीं न कहें कुछ ऐसा अवश्य है जो सरकार में बैठे बड़े लोगों तक जाता है तभी आज तक सरकार अपना हठ लेकर बैठी हुई है. अगर सरकार को लगता है कि सारा कुछ साफ़ है और उनमें से कोई भी इस पूरे मामले में लिप्त नहीं है तो इसके लिए उच्च स्तरीय जांच किये जाने की आवश्यकता भी है जिससे पूरा मामला साफ़ हो सके.

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ग्रामीण स्वास्थ्य योजना में अरबों का बजट होने के कारण कुछ लोगों ने इसका लाभ उठाना शुरू कर दिया और जब इस तरह के मामले खुलने लगे तो ६ महीने के अन्दर ही लखनऊ के २ आला स्वास्थ्य अधिकारियों की हत्या कर दी गयी. माया सरकार ने भी यह माना था कि इस मामले में करोड़ों रुपयों की लूट भी हुई थी और इसी के चलते उन्होंने अपने चहेते परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और सतीश मिश्र के खास स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्र के इस्तीफे लेकर मामले को ठंडा करने की कोशिश भी की थी. पर विपक्ष की तरफ से और बी पी सिंह के परिवार की तरफ से लगातार दबाव बनाये जाने के चलते ही डॉ सचान को हिरासत में लिया गया था पर डॉ सचान भी इस पूरे खेल में केवल एक मोहरा ही थे और उनके बस का कुछ भी नहीं था पर जब इस लूट में शामिल बड़ों को यह लगने लगा कि अब मामला खुल सकता है तो उन्होंने डॉ सचान को भी रास्ते से हटा दिया. जिस तरह से सुनियोजित तरीके से सरकार को ठेंगा दिखाया जा रहा है उससे यही लगता है कि कोई न कोई इस पूरे मामले को बहुत गंभीरता से चला रहा है.

कानून व्यवस्था के बड़े बड़े दावे करने वाली प्रदेश सरकार के मुंह पर अपराधियों ने इस तरह के चर्चित कांड के मुख्य आरोपी की जेल अस्पताल में ही हत्या कर करारा तमाचा मारा है, अब भी अगर बेशर्मी के साथ सरकार यह कहती है कि वह मामले की तह तक पहुँचने में सक्षम है तो उसका कौन यकीन करेगा ? अगर सरकार की मंशा साफ़ है तो उसे इस मामले में पुलिस के साथ न्यायिक जांच भी करनी चाहिए क्योंकि जब तक इस खेल के बड़े मगरमच्छों को नहीं पकड़ा जायेगा तब तक इस तरह के बड़े घोटाले होते ही रहेंगें ? केद्र सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर हमले करने वाली माया सरकार को कम से कम यह तो देखना ही चाहिए कि भले ही दबाव में ही सही पर केंद्र के बड़े घोटालेबाज आज तिहाड़ में हैं और उत्तर प्रदेश में अपराधियों के हौसले इतने बढ़े हुए हैं कि वे इस तरह के चर्चित मामलों के अभियुक्तों की मुख्यमंत्री की नाक के नीचे हत्या करने में भी नहीं चूक रहे हैं और सरकार यह कहती नहीं थक रही है कि प्रदेश कानून व्यवस्था की स्थति पहले से अच्छी है और में गुंडाराज समाप्त कर दिया गया है ? तो मुख्यमंत्री जी से एक निवेदन है कि वे प्रदेश को गुंडा राज ही लौटा दें कम से कम लोग कुछ सुरक्षित तो महसूस कर्नेगें ?

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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