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उत्तर प्रदेश और महिलाएं

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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एक महिला मुख्यमंत्री होने के बाद भी जिस तरह से उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों अचानक ही महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी उससे यही लगता है की कहीं न कहीं पर कुछ गड़बड़ ज़रूर है जिस पर अभी तक माया सरकार का ध्यान नहीं जा पा रहा है ? यह तो नहीं कहा जा सकता है कि प्रदेश में कानून का राज है क्योंकि जिस तरह से बड़े पैमाने पर प्रशासनिक मामलों में सत्ताधारी दल के नेताओं का दखल बढ़ गया है उससे नियमित काम काज निपटने में भी अधिकारियों को दिक्कतें आने लगी हैं ? इस तरह के हर मामले में हर लगभग जगह पुलिस की भूमिका घेरे में हैं और कहीं न कहीं से राजनीतिक दबाव भी काम कर रहा है जिसके चलते पुलिस को अपना काम करने में बड़ी कठिनाई हो रही है. प्रदेश से गुंडाराज समाप्त करने के बड़े बड़े दावों के साथ सत्ता में आई माया सरकार ने आज तक कुछ ऐसा नहीं किया है जिससे यह लगे कि वह वास्तव में प्रदेश की कानून व्यवस्था के बारे में चिंतित हैं. माया सरकार की प्राथमिकतायें क्या हैं आज तक अधिकारी ही यह बात नहीं जान पाए हैं जिससे वे कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं.

इन मामलों में विपक्ष को लगे हाथ प्रदेश की कानून व्यवस्था पर चोट करने का एक मौका भी मिल गया है. यह चुनावी वर्ष है और ऐसे में कोई भी राजनीतक दल नहीं चाहेगा की कहीं से भी होने वाले किसी भी मामले का भरपूर लाभ उठाने में कोई कसर रह जाये ? इस तरह के मामलों में जिस तरह की संवेदनशीलता का परिचय पुलिस को देना चाहिए वह कहीं से भी दिखाई नहीं देता है और पीड़ित पक्ष के साथ पुलिस अपराधियों जैसा व्यवहार करती है. माया सरकार को जहाँ एक तरह इस तरह के मामलों में सही रिपोर्ट दर्ज़ करवाने की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कोई भी मामला छिप न सके और आगे से लोग इस तरह के अपराधों से दूर रह सकें. आज आवश्यकता थी कि जनता में स्पष्ट सन्देश जाये कि सरकार पूरी तरह से मुस्तैद है पर सरकार तो घबराहट में अजीब सी हरकतें करने पर लगी हुई है ? एक निजी समाचार चैनल पर अघोषित पाबन्दी लगाकर माया सरकार ने अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए हैं प्रशासनिक दबाव के चलते केबल से इसका प्रसारण रुकवा दिया गया है और ऐसी किसी रोक की बात से भी सरकार मना कर रही है.

अच्छा तो यह होता कि प्रदेश में पुलिस को अपना काम करने दिया जाता क्योंकि जब तक पुलिस सही तरीके से काम नहीं करेगी तब तक अपराधियों के मन में कहीं से भी सरकार का भय नहीं होगा और समान्य जनता भय के मारे घरों से निकलने से पहले १०० बार सोचेगी ? माया सरकार में इस बार पूर्ण बहुमत होने के बाद वह धमक नहीं दिखी जो उनकी अल्पमत सरकारों में हुआ करती थी. कई मोर्चों पर यह सरकार अपने आप में पूरी तरफ से असफल साबित हुई है और पता नहीं कौन सरकार को इस तरह की अनाप शनाप हरकतें करने के लिए प्रेरित कर रहा है जिससे जनता के बीच में उसकी छवि अपराधियों को संरक्षित करने वाले की बनती जा रही है. वैसी भी आज की तारीख़ में अगर लोगों की राय जानी जाये तो शायद ही १५ % लोग इस सरकार को वापस देखना चाहें ?अब भी समय है कि प्रदेश के हित में ठोस कदम उठाये जाए और उन पर काम करने की छूट भी अधिकारियों को दी जाये जिससे वे कानून का राज फिर से ला सकें.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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