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संप्रग-२ के दो साल

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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संप्रग सरकार की दूसरी पारी के दो साल पूरे होने पर आयोजित एक समारोह में मनमोहन और सोनिया ने साफ़ तौर पर भ्रष्टाचार पर कड़े कदम उठाने के लिए पूरे देश को आश्वस्त किया है. यह सही है कि संप्रग सरकार की दूसरी पारी में घोटालों ने उसका जीना हराम करके रखा हुआ है फिर भी यह कहा जा सकता है कि जिस तेज़ी और संजीदगी से भ्रष्टाचारियों पर हमले होने चाहिए उसमें अभी कुछ कमी दिखाई दे रही है. मनमोहन ने जिस तरह से पूरे माहौल में व्याप्त इस गंदगी को दूर करने के लिए अपने संकल्प को दोहराया है वह देश के लिए अच्छा ही है क्योंकि अभी तक वे जिस तरह से चुप रहकर काम करने में विश्वास करते आये हैं उसे लोग उनकी कमज़ोरी मानने लगे हैं. यह सही है कि इस समय कई ऐसे घोटाले सामने आये हैं जो कई वर्षों से आराम से पनप रहे थे पर उनके ख़िलाफ़ कुछ भी ठोस नहीं हो पा रहा था. अब समय है कि इस तरह के मामलों में मनमोहन को खुद ही हस्तक्षेप करके हर तरह के आरोपों की पूरी जांच करानी चाहिए.

२जी घोटाले ने तो देश को पूरी तरह से हिला कर ही रख दिया है फिर भी जिस तरह से न्यायालय की सक्रियता के चलते उस समय के मंत्री, अधिकारी और बहुत से अन्य लोग तिहाड़ जेल में बंद हैं उससे तो यही लगता है कि इस तरह से घोटाले करना बहुत आसान है. मनमोहन सरकार या उनकी एक कमज़ोरी तो अवश्य ही रही है कि उन्होंने जिन मंत्रालयों को सहयोगी दलों के हवाले कर दिया उनकी कोई खास खबर नहीं रखी क्योंकि शायद उन्हें लगता था कि इसे सहयोगी दल अपने काम में हस्तक्षेप मानेंगें. बस यहीं से उस बात की शुरुवात हो गयी जिसने बड़े घोटालों को जन्म दे दिया. वैसे देखा जाए तो मनमोहन सरकार की कुल मिलकर काम करे की गति ठीक ही रही है फिर भी कुछ मुद्दों पर जिस तेज़ी की आशा मनमोहन सिंह से देश को है वह उस पर खरे नहीं उतर पाए हैं. अब आगे से उन्हें यह भी कड़ाई से देखना होगा कि कहीं से इस तरह का कोई काम न होने पाए जिससे उनकी सरकार को धक्का लगे.

यह सही है कि अभी हुए ५ राज्यों के विधान सभा चुनावों में संप्रग को सही सलामत सहयोग मिल गया हैं पर उसमें कहीं न कहीं से जनता के मन में बुरे राज्य को बदलने की चाह थी. इसके साथ ही असोम में कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है और उसके वोट भी बढ़े हैं इससे यह पता चलता है कि अगर काम किया जाए तो जनता अच्छे शासन को आसानी से बदलना नहीं चाहती है और आवश्यकता पड़ने पर वह और अधिक मतों से सरकार को काम करने का आदेश दे देती है. देश की जनता अब राजनैतिक रूप से अधिक परिपक्व हो रही है और उसे अब यह भी पता है कि कहाँ पर किसे चुनना है. संप्रग को फिलहाल अधिक खुश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज के समय में पूरे देश में इसका कोई मज़बूत विकल्प नहीं है और स्थिरता और विकास के मुद्दे पर कांग्रेस ने देश में हमेशा से ही बाज़ी मारी है. हो सकता है कि अगले आम चुनावों तक जनता और ऊब जाए जिससे वह इन्हें बदलने का मन बना ले. पर अभी समय है कि यह सरकार जनता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देकर और अच्छा कर सकती है.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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