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करमापा और पैसा…

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत को अस्थिर करने के लिए चीन कभी भी कैसे भी कदम उठाने से नहीं चूकता है उसी कदम में ताज़ा प्रकरण करमापा लामा के रूप में देखा जा सकता है ? जिस तरह से अत्यधिक सुरक्षा वाली चीनी सीमा से पार होकर करमापा भारत आ गए थे तब भी कुछ लोगों को यह संदेह हुआ था कि आख़िर बिना चीन के सहयोग के कोई किस तरह से इधर आ सकता है ? अभी तक तो केवल यही चल रहा था कि पाक आतंकियों को इसी तरह से घुसपैठ करके भारत भेजता रहता था. करमापा को भारत ने जितना सम्मान दिया और अगर उसके बाद भी उन्होंने चीन के एजेंट की तरह ही काम किया होगा तो यह पूरे तिब्बत के लिए बहुत ही दुखद घटना होगी क्योंकि भारत ने अपना बहुत नुकसान हो जाने के बाद भी तिब्बत पर अपनी नीति से हटने से मना कर दिया था.
भारत ने सदैव से ही अपने मेहमानों का खुले दिल से स्वागत किया है और इसमें हमारी तरफ़ से कोई कमी नहीं रखी जाती है. करमापा के तिब्बतियों के अध्यात्मिक गुरु होने के कारण भारत ने उन्हें भी पूरी सुविधाएँ और सहयोग प्रदान किया है पर जिस तरह से उनके यहाँ से करोड़ों रूपये की विदेशी मुद्रा की बरामदगी जारी है उससे कहीं न कहीं यह पैसा हवाला या अन्य माध्यमों से लाया लगता है उससे तो यही कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं करमापा लामा की गतिविधियाँ संदिग्ध प्रतीत होने लगती हैं ? अब यह आवश्यक है कि इस मसले पर पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया जाए क्योंकि यह मामला चीन से जुड़ा होने के कारण बहुत ही संवेदन शील हो चुका है और हिमाचल सरकार या केंद्र सरकार इसे केवल धार्मिक मुद्दा मानकर नहीं चल सकती है ? अब समय आ गया है कि इस तरह से चलने वाले किसी भी धार्मिक, सामाजिक या अन्य गतिविधियों के धन और दान पर पूरी नज़र रखने के लिए एक ठोस निगरानी तंत्र को विकसित किया जाए. भारतीय धर्म गुरु भी जिस तरह से पूरी दुनिया में घूमते रहते हैं उसके बाद उनके धन के लेन देन पर निगरानी रखनी बहुत आवश्यक हो गयी है.
यहाँ पर एक बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस प्रस्तावित कानून में सभी धर्मों को समान रूप से शामिल किया जाए और यह आवश्यक किया जाए कि किसी भी स्थान पर किसी भी केंद्र को जितना भी धन कहीं से भी मिल रहा है उसका पूरा हिसाब रखा जाए ? किसी भी धर्म या किसी भी व्यक्ति को इसमें कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि जब कहीं पर भी अनावश्यक रूप से ढिलाई बरती जाती है तो ग़लत काम करने वाले उसी का इस्तेमाल करके अपना काम करने लग जाते हैं ? देश रहेगा तभी ये धर्म गुरु रह पायेंगें, सबसे ग़लत तो यह होता है कि कुछ धन के लालच में हमारे धर्म गुरु या अन्य केंद्र कानून से खेलने लगते हैं ? अब आवश्यकता है कि पूरी तरह से करमापा के सभी सूत्रों को जांचा परखा जाए क्योंकि कहीं से भी इनके किसी भी सूत्र से भारत को आने वाले समय में बहुत बड़ा ख़तरा हो सकता है ? कानून को अपना काम करने देना चाहिए और किसी को भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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