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आक्रोश की भाषा

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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बांदा के बहुचर्चित विधायक के अत्याचारों से पीड़ित लड़की ने अपने घर के बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि अगर उसका बस चले तो वह विधायक की जान ले लेगी क्योंकि विधायक ने उसके साथ बलात्कार करने के बाद उसे अपने गुंडों के हवाले कर दिया. किसी तरह से भागने के बाद जब वह पुलिस के पास पहुंची तो पुलिस ने भी उसके साथ दुर्व्यवहार किया. सत्ताधारी दल के विधायक का ऐसा नहीं जो किसी को भी शर्मिंदा कर दे ऐसे कृत्या होने के बाद जिस तरह से प्रशासन ने विधायक की मदद करने की पूरी कोशिश की उसे देखते हुए यही लगता है कि उत्तर प्रदेश में अब वास्तव में कुछ भी सही नहीं चल रहा है ?
उत्तर प्रदेश में ऐसा ही एक कांड कानपूर में भी हुआ जिसमें वहां के पुलिस उपमहानिरीक्षक समेत पूरी पुलिस फ़ोर्स के काले कारनामे सामने आये. अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या नशा इन सत्ताधारी लोगों को हो जाया करता है जिसके कारण ये सही गलत के बारे में भी नहीं सोच पाते हैं और प्रशासन का दबाव बनाकर अपनी हनक दिखाने की कोशिश करते रहते हैं ? दोनों ही मामलों में मीडिया की सक्रियता के चलते ही कुछ हो पाया वरना बांदा वाले मामले में नेता और अधिकारीयों के गठजोड़ ने नारी अस्मिता को तार तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी ? सबसे शर्मनाक यह है कि जब प्रदेश में मुख्यमंत्री महिला हैं और उनका पार्टी पर पूरा दबदबा है तो भी कुछ लोग नारी के प्रति ऐसी हरकतें करने से नहीं चूकते हैं. यह सही है कि केवल मुख्यमंत्री पूरे दल की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकती है पर बसपा के पास तो काडर है जो इस इस तरह की सही सूचनाएँ पार्टी तक तो भेज ही सकता है ?
लगता है कि ४ साल के शासन ने बसपा के काडर को इतना निकम्मा और भ्रष्ट कर दिया है कि अब वो भी सही गलत की परिभाषा भूलकर सत्ता का सुख भोगने में लगा हुआ है ? जिस दल के पास वोट होते हैं उसके पास लोग खिंचे चले आते हैं पर इस तरह से केवल किसी को भी दल में शामिल कर लेने से क्या समस्या आ सकती है इसका उदाहरण हम खूब अच्छे से देख रहे हैं ? अब भी समय है कि केवल जीत को ही न देखा जाये साथ ही व्य्यक्ति के पूरे चरित्र पर भी विचार किया जाये. सत्ता में आने के बाद पार्टी की ज़िम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है क्योंकि तब सत्ता का मद भी साथ में जुड़ जाता है और बिना उससे पार पाए कोई भी सरकार सही ढंग से काम नहीं कर सकती है. अभी भी समय है कि नेता चेत जाये वर्ना किसी दिन किसी नेता की बिहार के विधायक की तरह हत्या भी हो सकती है जो इस तरह के काम में लगे होंगें ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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