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नए साल पर मिस्र के एक चर्च में पूजा कर बाहर निकल रहे लोगों पर जिस तरह से आतंकी हमला किया गया वह पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर प्रश्न छोड़ गया है. अभी तक यही समझा जा रहा था की पूरी दुनिया में इस्लामी आतंक का अगुआ अल कायदा केवल उन देशों में हमले कर रहा है जिनमें मुसलमान अल्पसंख्यक हैं पर मिस्र की इस घटना ने लोगों को अपनी इस सोच पर फिर से विचार करने के लिए बाध्य कर दिया है. जैसा कि सभी जानते हैं कि आज के युग में इस्लाम को बदनाम करने में इस्लाम के अनुयायी ही बहुत आगे हैं. जिस तरह से पूरी दुनिया इस्लाम के चंद अनुयायियों की इस तरह की आतंकी घटनाओं से त्रस्त है उससे आने वाले समय में दुनिया के इस्लाम और गैर इस्लाम के नाम पर विभाजित हो जाने का ख़तरा मडराने लगा है.
मिस्र में जिस तरह से सोच समझ कर चर्च के बाहर हमला किया गया है वह पूरी दुनिया के लिए एक संकेत है कि अब भी अगर आतंक से लड़ाई के नाम पर पाक जैसे आतंक समर्थक राष्ट्रों की अनदेखी की जाती रहेगी तो वह दिन दूर नहीं है जब सभी लोग पाक के खिलाफ हो जायेंगें ? अभी भी पाक जिस तरह से पूरी दुनिया को आतंक के नाम पर अपनी दोहरी नीति में फ़साने में लगा हुआ है उससे तो यही लगता है कि वह काफी हद तक अमेरिका जैसे देशों की आँखों में धूल झोंक रहा है. पता नहीं अमेरिका की क्या मजबूरी है कि वह सब कुछ जानते हुए या केवल भारत पर दबाव बनाने के लिए ही पाक की हर गलती की तरफ़ से आँखें मूंदे रहता है. अपने मामले में तो अमेरिका ने सीधे अफगानिस्तान पर हमला ही कर दिया था पर जब दुनिया के किसी अन्य देश की बात सामने आती है तो वह पाक को कुछ भी नहीं कहता है ?
आतंक का कोई धर्म नहीं होता केवल कुछ लोग अपने ग़लत कामों पर पर्दा डालने के लिए ही धर्म की आड़ लेकर अपने हितों को साधने का काम करते रहते हैं. आज के समय में जो सबसे बड़ी कमी है वो यह कि इस्लाम के सही अर्थों को समझाने वाले उदारवादी जैसे कहीं खो से गए हैं और जब तक ये उदारवादी आगे आकर पूरी दुनिया को इस्लाम की सही तस्वीर नहीं दिखाते हैं तब तक कुछ चरम पंथियों के कारण बदनाम हो रहा इस्लाम अपनी सही स्थिति को नहीं पा सकेगा ? अब भी अगर कुछ लोग आगे नहीं आये तो आने वाले समय में इस्लाम और शेष दुनिया के बीच की खाई और भी अधिक गहरी हो जाएगी. समय चेतने का है और एक दूसरे को समझने का भी…….. कहीं ऐसा न हो कि सही लोग अपने घरों में बैठे रहें और अराजक लोग पूरी दुनिया को नफरत के ढेर पर बैठा दें ? और उस स्थिति में चाह कर भी जो किया जाना उचित होगा क्या वह किया जा सकेगा ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…
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