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अमेरिका की एक अदालत ने २६/११ मुंबई हमलों में मारे गए लोगों के परिवारों द्वारा दायर की गयी एक याचिका की सुनवाई करते समय आई एस आई के वर्तमान प्रमुख शुजा पाशा सहित पूर्व प्रमुख नदीम ताज सहित पाकिस्तानी सेना के कई अधिकारियों समेत चरम पंथियों के कई गुटों पर हत्या का मुक़दमा दायर करने के साथ सभी को सम्मन जारी कर दिए हैं. उल्लेखनीय है कि भारत सरकार भी शुरू से ही इन हमलों में पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी और सेना की मिलीभगत की बात करती रही है पर जब से हेडली का बयान आया कि पाक की सेना ने २६/१ के हमलों के लिए हमलावरों को प्रशिक्षित किया था तब अदालत में केस डालने की बात सोची गयी जिसके तहत अब यह मामला इस स्तर तक पहुँच चुका है.
पाक की आतंक के समर्थन को लेकर जिस तरह से आज तक अमेरिका अनदेखी करता रहा है अब वह उसके लिए बहुत बड़ी समस्या लेकर आने वाला है क्योंकि अब जब अदालत ने इन लोगों को इस मामले में प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए हुए सम्मन जारी कर दिया है तो इस पूरे मामले में पाक की आतंकी नीति की अनदेखी करना अब अमेरिका की किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं रहेगा. सरकारें अपनी सहूलियत के अनुसार कुछ भी कर सकती हैं पर जब बात अदालत तक पहुँच जाती है तो इस तरह से किसी भी बात को हज़म करना बहुत आसान नहीं रह जाता है. अब अमेरिका को आतंक के मुद्दे पर यह साफ़ कर देना चाहिए कि पाक की दोहरी नीति अब नहीं चल पायेगी क्योंकि अगर अमेरिकी सरकार कुछ चुप चाप करना भी चाहेगी तो भी वहां का सख्त आतंक निरोधी कानून कहीं न कहीं से सरकार पर दबाव बनाये ही रखेगा.
अब पूरी दुनिया को आतंक के खिलाफ़ पूरी तैयारी से सभी देशों को जो किसी भी तरह के आतंक को कहीं भी किसी भी स्तर पर पनाह दे रहे हैं उनको यह समझाना होगा कि आगे ऐसा कुछ भी नहीं चलने वाला है क्योंकि चोर को चोरी की और शाह को जागने की सलाह अब बहुत दिन तक कारगर नहीं रहने वाली है. अच्छा हो कि अब सभी लोग आतंक के सही पोषण कर्ताओं को पहचाने जिससे पूरी दुनिया इस तरह के आतंकी हमले रोके जा सकें और आगे आने वाले समय में कोई आतंकी संगठन किसी सरकारी सहायता के बारे में सोच भी न सके पर यह मंशा तब तक अधूरी रहेगी जब तक पाक जैसे देश और अमेरिका जैसे उसके सहयोगी इस दुनिया में रहेंगें ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…
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