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अमेरिका के बाद अब एक महीने के अन्दर ही जिस तरह से फ़्रांस ने भारत को सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है उससे यही लगता है कि अब पूरा विश्व भारत की क्षमता को मानने लगा है. अभी तक इस मसले पर परिषद् के स्थायी सदस्य हमेशा ही भारत के ऐसे किसी भी प्रयास को गंभीरता से नहीं लिया करते थे पर अमेरिका के बाद अब फ़्रांस ने जिस तरह से परिषद् में सुधार की वकालत की है वह पूरे विश्व के लिए बहुत अच्छा है.
आज भारत विश्व की ज़रुरत बन चुका है और पूरे विश्व के मुख्य देशों को कुछ न कुछ बेचने के लिए भारत के बड़े बाज़ार की ज़रुरत है. चीन की तरह भारत कभी भी आक्रामक होकर कुछ भी नहीं करता है जिसका भी पूरा लाभ भारत को मिलता है. वर्तमान में सरकोजी की यात्रा भारत में परमाणु ऊर्जा के भविष्य में फ़्रांस के रोल को देखने के लिए आये हैं. इस पद पर आने के बाद यह उनकी दूसरी भारत यात्रा है अब पूरी तरह से यह स्पष्ट है कि हर देश अपने यहाँ की व्यापारिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अब भारत के व्यापक बाज़ार का दोहन करना चाहता है. शायद यही कारण है कि आज भारत की अहमियत पूरी दुनिया में बढ़ सी गयी है. अब यह उचित समय है कि भारत अपने सही स्थान को पहचाने और आने वाले समय में पूरी विश्व बिरादरी की आकांक्षाओं पर खरा उतरे. अभी तक केवल सभी ने भारत का फायदा उठाया है पर पहली बार ऐसा हो रहा है कि जो देश परमाणु मुद्दे पर भारत के खिलाफ़ थे आज वे ही अपने हर काम को करवाने के लिए भारत के चक्कर लगा रहे हैं.
बस अब यह सही समय है कि हम अपनी सही शक्ति को पहचान लें कि हम क्या कर सकते हैं ? अब बिना किसी कारण किसी भी देश के सामने हाथ फ़ैलाने की प्रथा बंद होनी चाहिए जिससे देश कि सही स्थिति को पूरी दुनिया पहचाने. चे कुछ भी हो अब देश ने पूरी तरह से धीरे धीरे ही सही पर उचित रस्ते पर चलना सीख ही लिया है. अब पूरे सम्मान के साथ इस रास्ते पर चलने के लिए हम सभी देश वासियों को आगे आना ही होगा. इस मामले में मनमोहन सिंह की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने परमाणु मुद्दे को सख्ती से उठाकर आज पूरी दुनिया को भारत के मन की कहने पर मजबूर कर दिया है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…
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