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देश में हर एक से आगे निकलने की होड़ में व्यवसायिक कम्पनियाँ आम तौर पर यह भूल जाती हैं की वे किस तरह से अनजाने में ही देश के कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं. इस कड़ी में सबसे ताज़ा मामला दूर संचार कंपनियों के माध्यम से कालर ट्यून के रूप में राष्ट्र गान को उपलब्ध कराया जाना है. इस मसले की गंभीरता को समझते हुए संचार मंत्रालय ने तुरंत ही एक आदेश जारी करके यह कह दिया है कि सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं से किसी कदम से देश के गौरव को ठेस न पहुंचे. इन सभी को यह सूचित करते हुए आदेश में कहा गया है कि यह उनकी ज़िम्मेदारी है कि किसी भी तरह से राष्ट्रीय सम्मान कानून का उल्लंघन नहीं होने पाए.
आज जिस तरह से देश भक्ति गीत, भजन, स्थानीय बोलियों और अन्य तरह की कलर ट्यून उपलब्ध हैं उनको देखते हुए कहीं से लोगों ने राष्ट्रगान को भी कलर ट्यून के रूप में उपलब्ध करने के बारे में सोच लिया पर साथ ही वे इस सम्मान के बारे में भूल गए जो हर भारत वासी को राष्ट्रगान प्रसारित होते समय दिखाना होता है ? अगर व्यक्ति ट्यून सुनेगा तो फोन कब उठाएगा और अगर वो फोन उठता है तो कानून का उल्लंघन होता है ? देश में अभी भी बहुत सारे मसलों पर कोई भी ध्यान नहीं देना चाहता है. सरकार भी यह माने बैठी है कि लोग इस बारे में बहुत कुछ जानते हैं पर वास्तव में जो कुछ थोडा बहुत जानते हैं वे इसे दूसरों को बताना भी नहीं चाहते हैं और आज शिक्षा के व्यावसायीकरण का यह हाल है कि राष्ट्रीय दिवसों पर छोटे बच्चों की छुट्टी तथाकथित बड़े स्कूल कर दिया करते हैं.
आज आवश्यकता है फिर से लोगों को राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रगान और अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में पूरी तरह से जानकारी दी जाये जब लोगों को यह पता होगा कि क्या सही और क्या गलत है ? आज लोग बहुत कुछ अनभिज्ञता के कारण भी करते रहते हैं और जब वे जान जाते हैं कि यह नहीं करना है तो वे आसानी से सही बात का अनुपालन करना सीख जाते हैं. सरकार की तरफ से लोगों को जागरूक करने के लिए बहुत सारे प्रयास किये जाते हैं पर आज तक कभी भी यह नहीं दिखाई दिया कि लोगों को राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के बारे में और उनका सम्मान करने के बारे में जागरूक किया जा रहा हो ? कम से कम राष्ट्रीय दिवसों पर तो पहले से लोगों को हर बार यह बताया जाना चाहिए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…
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