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रहस्यमय बुखार और उ०प्र०

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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पिछले दो महीनों से उत्तर प्रदेश में रहस्यमय बुखार से १२०० से अधिक मौतें होने के बारे में समाचार लगातार आते जा रहे हैं पर अभी तक सरकारी स्तर पर कोई भी प्रयास ऐसे नहीं हुए हैं जिन्हें यह कहा जा सके कि वे सही दिशा में उठाये गए कदम हैं ? वैसे भी उ०प्र० के तराई के कई जिलों में पिछले १० वर्षों से मष्तिष्क ज्वर तबाही मचाता रहा है फिर भी सरकार को टीके खरीदने की तब याद आती है जब मौतों का सिलसिला शुरू हो जाता है ? देश का सबसे बड़ा प्रदेश जहाँ पर घटिया राजनीति को छोड़कर कुछ भी नहीं चल रहा है वहां पर आखिर कब तक जनता इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त करती रहेगी ? गाँव देहात की बात तो छोड़ ही दी जानी चाहिए आज हालत यह है कि राजधानी के किसी भी सरकारी/ निजी अस्पताल में मरीज के लिए बिस्तर खाली नहीं हैं ?

यह सही है कि इस तरह की बीमारियों को अचानक ही काबू में नहीं किया जा सकता है पर यदि सरकार सचेत हो तो वह बहुत हद तक इसके प्रभाव को कम कर सकती है. जनता में जागरूकता फैलाई जानी चाहिए केवल अख़बारों में छोटे विज्ञापन छपवाने के खेल की जगह पूरे मन से काम किया जाना चाहिए. प्रदेश में सबसे निकम्मा स्वस्थ्य विभाग ही है जिसे किसी भी काम को सही समय से करने की आदत आज भी नहीं है. सरकार द्वारा इस समय जिस तरह कि त्वरित कार्यवाही की आशा की जाती है वह शायद इस समय कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है. उत्तर प्रदेश सरकार के पास लखनऊ में पार्क और चौराहे बनवाने के लिए पैसे हैं पर बाढ़ राहत, बीमारी और अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए पैसों की कमी हमेशा ही बनी रहती है ?

आखिर प्रदेश सरकार इस तरह से राम भरोसे कब तक तंत्र को घसीटने का प्रयास करेगी ? जब तक देश में इस प्रदेश के सही विकास के आयाम नहीं दिखाई देंगें तब तक देश की प्रगति हर स्तर पर समझौते ही करती रहेगी ? ,माया देश की प्रधान मंत्री बनना चाहती हैं पर देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा जो उनके शासन में है उसके बेहतर जीवन के बारे में सोचने के लिए उनके पास समय नहीं बचा है आज तो उन्हें बिहार में चुनाव दिखाई दे रहे हैं ? हर नेता की आकांक्षा होती है कि वो एक दिन देश के सर्वोच्च राजनैतिक पर तक पहुंचे पर इसके लिए जो कुछ उसके पास है उसकी अनदेखी आख़िर कब तक की जा सकती है ?

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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