Menu
blogid : 488 postid : 225

भ्रष्टाचार सब जगह…

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
  • 2165 Posts
  • 790 Comments

राहुल गाँधी ने शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए एक प्रश्न के उत्तर में बहुत ही सटीक बातें कह कर भ्रष्टाचार के बारे में अपनी राय को स्पष्ट कर दिया. विद्यार्थियों से बात करते समय एक छात्र ने जब यह पूछा कि विश्वविद्यालय को कैसे भ्रष्टाचार से मुक्त किया जाए तो उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि हर जगह पर यह फैला हुआ है हम इसके बारे में बात तो करते हैं पर कुछ करने वालों का साथ नहीं देते हैं ? उन्होंने कहा कि जब आप भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बोलते हैं तो बहुत सारे लोग आपकी प्रशंसा करते हैं, जब आप इसके खिलाफ़ कुछ कहते हैं तो बहुत कम लोग आपकी प्रशंसा करते हैं और जब आप कुछ करना चाहते हो तो कोई भी आपके साथ खड़ा नहीं होना चाहता है ?
यह बिलकुल सही है क्योंकि अभी तक जितने लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ़ कुछ करने की कोशिश की उन्हें कुछ ठोस हासिल नहीं हो पाया है, कई बार ऐसा हो जाता है कि शिकायत करने वाले को उल्टा ही भ्रष्टाचारी अपनी पहुँच का प्रयोग करके बहुत परेशान कर लेते हैं जिससे समाज में और किसी को इसके खिलाफ़ जाने की हिम्मत नहीं होती है. अभी तक इससे निपटने के सभी तरीके असफल हो चुके हैं जिन विभागों पर इसे रोकने की ज़िम्मेदारी है आज वही भ्रष्टाचारियों के रक्षक बने हुए हैं ? इस समस्या के बारे में कभी किसी सरकार ने सर्वदलीय बैठक का आयोजन नहीं किया है ? क्यों ? क्या भ्रष्टाचार सरकारों के लिए कोई मुद्दा नहीं है ? आखिर कब तक जनता के पैसों की चंद लोग इसी तरह से लूट खसोट करते रहेंगें ? और आम जनता अपने को लुटता हुआ देखने को मजबूर रहेगी ?
केवल इसका विरोध विभिन्न मंचों से कर देने पर समस्या का कोई हल नहीं निकलने वाला है क्योंकि यह जितनी बड़ी समस्या है उस पर पूरे भारत में एक साथ कुछ सोचकर कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है. प्रायोगिक तौर पर कुछ जिलों को चुनकर वहां पर समाज के प्रतिष्ठित लोगों, सेवानिवृत्त न्यायाधिकारियों, कर्मचारियों आदि की एक समिति बनायीं जानी चाहिए जो हर तरह के खर्च का सोशल आडिट करने के लिए स्वतंत्र हो, इस समिति के लिए यह भी आवश्यक होना चाहिए कि इसमें किसी भी दल के किसी भी सक्रिय राजनैतिक व्यक्ति को कोई भी स्थान नहीं दिया जाए क्योंकि अगर ये नेता फिर से पूरे तंत्र में घुस गए तो इन समितियों को बनाने का कोई मतलब नहीं होगा ? देश में पुलिस सुधार पर बहुत दिनों से चर्चा चल रही है पर अभी तक कहीं से कुछ भी नहीं किया जा सका है क्योंकि ये नेता पुलिस पर से अपने दब-दबे को किसी भी सूरत में कम नहीं करना चाहते हैं भले ही इसके लिए सरकार और देश को कितना भी नुकसान क्यों न उठाना पड़े ? हो सकता है कि सभी राजनैतिक दल इस तरह के किसी प्रयोग के लिए राज़ी न हों फिर भी राहुल गाँधी को चाहिए कि वे कांग्रेस शासित राज्यों में कुछ जिलों में इस तरह के प्रयोगों को करवा के देखें……..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh