Menu
blogid : 488 postid : 146

हास्य धारावाहिक और फूहड़ता..

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
  • 2165 Posts
  • 790 Comments

देश में संचार के एक नए युग का सूत्रपात तो हो ही चुका है फिर भी अभी हम सभी को इस मामले में बहुत कुछ समझने की आवश्यकता है. जैसा की हम सभी देखते ही हैं कि सभी टीवी चैनल अपने दर्शकों को बढ़ाने के लिए कुछ न कुछ नया करने का प्रयास करते ही रहते हैं उसी क्रम में आज हर चैनल पर हास्य से जुड़ा कुछ न कुछ ज़रूर दिखाई देने लगा है. जो लोग हास्य को काफी पहले से पसंद करते होंगें वे पाकिस्तानी कलाकार उमर शरीफ से भी अवश्य परिचित ही होंगें ? ९० के दशक में उनके कुछ किस्सों ने काफी लोकप्रियता हासिल की थी. उनके प्रशंसक भारत में भी थे पर पाकिस्तान के कलाकार जिस दर्जे की कामेडी करते थे उसमें फूहड़ता का समावेश कुछ अधिक ही हो जाया करता था जिसके कारण उन लोगों को यहाँ बहुत बड़ी सफलता नहीं मिल सकी.

आज अगर देखा जाये तो किसी भी स्तर पर कामेडी को कामेडी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि आज इस कामेडी के स्थान पर फूहड़ता ने बहुत बड़ा स्थान कब्जिया लिया है. इस तरह के धारावाहिक बनाने वाले शायद यह भूल जाते हैं कि भारत के अधिकांश घरों में आज भी एक या दो ही टीवी होते हैं जिसके कारण पूरा परिवार साथ में बैठकर ही टीवी देखता है. अभी तक स्वस्थ मनोरंजन परोस रहे इन हास्य धारावाहिकों को पता नहीं किस की नज़र लग गयी कि इन्होने अचानक ही अपना पूरा रास्ता छोड़ ही दिया है. मनोरंजन और फूहड़ता के बीच में बहुत छोटा सा अंतर होता है और आज इन सभी धारावाहिकों ने इस सीमा रेखा का उल्लंघन कर ही दिया है. घटिया तथाकथित पारिवारिक धारावाहिकों से ऊब कर लोगों ने कुछ अच्छा देखने के लिए हास्य को प्राथमिकता दी थी पर यहाँ भी दर्शक अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है. प्राइम टाइम में जिस तरह से हास्य के नाम पर घटिया कंटेंट को प्राथमिकता दी जा रही है उसे किसी भी स्तर से सही नहीं कहा जा सकता है. पूरे धारावाहिक में अगर एक आधे द्विअर्थी संवाद हो तो बात चल सकती है और जब युद्ध जैसा माहौल बनाया जाए जिसमें हर तरह से विरोधी को मात देने का काम करना हो तो कौन सीमाओं की परवाह करने वाला है ? बिकुल यही हालात आज के हास्य धारावाहिकों के भी हो गए हैं.

एक समय था जब कहानी और संवादों में दम हुआ करता था पर आज किसी भी तरह से कुछ भी कह कर लोगों को हँसाना ही एक काम रह गया है भले ही इसके लिए पूरी तरह से नंगई पर उतर आना पड़े ?

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh