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सम्मान की राजनीति

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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जिस तरह से राष्ट्र मंडल खेलों के लिए भारतीय कलाकारों का चयन किया जा रहा है और जिस तरह से इस सूची में अमिताभ हों या ना हों इस बात का बखेड़ा बनाया जा रहा है उसकी कोई आवश्यकता नहीं है. देश में अमिताभ का जो कद है वह किसी भी परिचय का मोहताज़ नहीं है. १९८२ के दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों में जब अमिताभ केवल युवा दिलों की धड़कन हुआ करते थे तब भी भारत सरकार ने उन्हें पूरा सम्मान दिया था. आज के समय में भी वे पूरे सम्मान के हकदार हैं. हम सभी को याद है कि २००६ में दिल्ली आने का निमंत्रण देने के लिए जो कार्यक्रम किया गया था उसमें ऐश्वर्या ने मुख्य भूमिका निभाई थी. समय के अनुसार कलाकारों का चयन बदलता रहता है. आज कुछ लोग यह कहना शुरू कर चुके हैं कि कांग्रेस के साथ सम्बन्ध ख़राब होने के कारण हई इस बार बच्चन परिवार को पूरी तवज्जो नहीं मिल पा रही है. एक ऐसा आयोजन जिसमें केवल कुछ आम से फैसले लिए जाने हैं पर इस सारे मामले में भाजपा ने कूद कर इस मामले को भी राजनैतिक रंग देना शुरू कर दिया है. अमिताभ आज खुद में ही सब कुछ हैं और अगर केंद्र की सरकार उनको इस बड़े आयोजन में शामिल करती है तो यह उनका सम्मान नहीं बल्कि पूरे कार्यक्रम का सम्मान होगा.

देश में इस तरह के मसलों पर फैसला लेने के लिए एक सर्वदलीय समिति होनी चाहिए जो इस तरह की राजनीति से ऊपर उठकर कुछ फैसले ले पाने में सक्षम हो पर आज जब देश हित के मुद्दों पर भी नेता एक नहीं होते तो वे कैसे निष्पक्ष होकर कोई फैसला कर पायेंगें यही संदेह का विषय है. इस सब में बहुत ज्यादा राजनीति नहीं की जानी चाहिए क्योंकि केवल घटिया राजनीति देश का बंटाधार ही कर सकती है. अब भी समय है कि सभ लोग देश की गरिमा बचाने के लिए सोचें और अपने दलीय एजेंडे को फिलहाल किसी कोने में छिपा दें.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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