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भाजपा और स्वामी रामदेव

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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भाजपा ने जिस तरह से स्वामी रामदेव से अपील की है कि वे अपनी अलग पार्टी न बनायें उससे तो यही लगता है कि मानसिक स्तर पर भाजपा ने यह मान लिया है कि उसके पास एक सीमित वोट बैंक ही है और इस नयी पार्टी से केवल उसका ही नुकसान होने वाला है. गडकरी ने जिस तरह से यह कहा कि इस पार्टी से केवल भाजपा का नुकसान और कांग्रेस का फायदा होने वाला है वह कहीं न कहीं उनकी हताशा ही दर्शाती है. इस देश में किसी को भी राजनैतिक दल बनाए का पूरा अधिकार है और इस बात से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता है. भाजपा क्यों भूल जाती है कि इस देश की जनता ने उसको उत्तर प्रदेश समेत ४ राज्यों की बागडोर सौंप दी थी पर उस थाती को संभल पाने में भाजपा असफल रही उसने लोगों की आकांक्षाओं को पल्लवित तो किया पर उनको वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतारा जिसके कारण उसकी दुर्दशा हुई. गुजरात,मध्य प्रदेश और हिमाचलप्रदेश राज्य के नेता इतने ताकतवर निकले कि उन्होंने अपने दम पर वहां की जनता की परेशानियों को दूर करने की कोशिशें की जिसके फलस्वरूप उन्हें दूसरा अवसर भी मिला. केंद्र में कांग्रेस को दूसरा अवसर इसी विकास परक दृष्टि के करण ही मिला.

आज के समय में भाजपा को केवल अपने तंत्र को सुधारने का प्रयत्न करना चाहिए क्योंकि जनता देख चुकी है कि सत्ता मिलने पर भाजपा कांग्रेस का बहुत बुरा संस्करण साबित हुई थी. पार्टी को दूसरों की पार्टी पर ध्यान देने के बजाय अपनी कमियों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि जब तक इन बातों पर ध्यान नहीं दिया जायेगा और दूसरों की सफलता से जला जायेगा तब तक कुछ भी सही होने वाला नहीं है. स्वामी रामदेव ने कभी यह नहीं कहा कि कोई एक पार्टी अच्छी या दूसरी ख़राब है, वे सदैव ही यह कहते रहे हैं कि हर पार्टी में बहुत अच्छे और बहुत बुरे लोग हैं. पता नहीं भाजपा क्यों अपने को हिन्दू वोटों का ठेकेदार मानती है ? आज के समय में जनता इन मुद्दों पर ज्यादा नहीं सोचना चाहती है क्योंकि उसके लिए रोज़ी रोटी का संकट है. धर्म किसी का भी व्यक्तिगत मामला हो सकता है पर उसके सहारे कोई दुकान बहुत दिनों तक नहीं चल सकती है. अच्छा हो कि देश के राजनैतिक दल इस बात को समझने का प्रयास करें और साथ ही यह भी देखें कि बात देश के विकास की हो, समाज के विकास की हो, पिछड़ों के विकास की हो…. तभी नए राजनैतिक दल नहीं बनेंगे और कम से कम स्वामी रामदेव जैसा प्रभावशाली व्यक्ति यदि व्यवस्था से संतुष्ट होगा तो वह सत्ता से दूर ही रहेगा. देश में पहले भी चाणक्य ने दिशा देने का काम किया है और आज भी यह काम देश के संत देश के गुरु बनकर कर सकते हैं.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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