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महिला आरक्षण विधेयक…

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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आज देश महिला दिवस पर एक ऐसा काम करने जा रहा है जिसकी बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी. वैसे तो महिला सशक्तिकरण में देश में बहुत सारे कदम लगातार उठाये जाते रहे हैं पर इस महिला आरक्षण विधेयक के बाद संसद की सूरत बदली नज़र आएगी. आज अगर यह विधयक पास होने के निकट है तो इसके लिए सोनिया गाँधी के अथक प्रयास हैं तो साथ ही नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज का योगदान भी कम नहीं है. यह सही है कि ये दोनों दल ही इस विधेयक के पक्ष में हैं पर श्रेय लेने कि होड़ ने अभी तक इसको वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतरने दिया. आज जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उनका विरोध केवल करने भर का ही है. ज़रा देखें तो मुलायम और लालू अपने घर कि महिलाओं को सत्ता की चाभी देने में कोई गुरेज़ नहीं करते पर जब बात आम महिलाओं की होने लगे तो पता नहीं क्या क्या बोलने लगते हैं ? माया को केवल विरोध करना है बात में दम हो या न हो.. कुछ अलग कहने का प्रयास करना है. महिला होकर इस बारे में कोई भी सार्थक बात न करना और केवल कुछ मुद्दे विरोध के रूप में ही करना ? यह विधेयक भारतकी महिलाओं को शक्ति देने की बात कर रहा है पर शायद इन कुछ नेताओं को यह लग रहा है कि यह केवल कुछ दलों के लिए ही होगा.

देश में बहुत सारी अन्य बातों का इन नेताओं ने बहुत लाभ उठाया है. आप किसी भी गाँव देहात या शहर में ही पहुँच जाएँ वहां आपको एक नए किस्म का नेता मिल जायेगा जिसका पद होगा प्रधान पति, पार्षद पति आदि … क्या इस तरह से ही नारी को शक्ति देने के लिए हम लोग इतनी बातें कर रहे हैं ? हाँ इतना तो अवश्य है कि पहली बार में पदों तक पहुंची महिलाओं के पास अनुभव नहीं होता है और उन्हें कुछ सहयोग की आवश्यकता होती है पर सहयोग के नाम पर उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन उनके पति द्वारा ही किया जाता है. देश में घूंघट में रहने वाली महिलाओं के लिए यह सारा कुछ एक परिवर्तन तो है पर जब तक इनके हाथों में वास्तव में पूरी सत्ता नहीं आती है तब तक कुछ बदलने वाला नहीं है. आशा है कि अब आगे आने वाले समय में कुछ परिवर्तन होगा कुछ हुआ है पर जितना होना चाहिए उतना नहीं हो पाया है. महिलाओं में भावनाएं पुरुषों के मुकाबले अधिक होती हैं घर कोनियमित रूप से चलाने के कारण उनको व्यवहारिकता का पूरा ज्ञान होता है जिसका पुरुषों में अभाव होता है. नारी के इन गुणों को देश के लिए उपयोग किया जाना चाहिए… हाँ एक बात और यदि सत्ता की वास्तविक चाभी महिलाओं के हाथ में होगी तो भ्रष्टाचार का स्तर अपने आप ही घट जायेगा क्योंकि महिलाएं कुछ अलग हट कर सोचती है.

आज देश इतिहास कि तरफ एक कदम बढ़ा रहा है और यह देश के लिए गर्व की बात है.

पुरुषों के लिए केवल एक ही बात शर्म करने लायक है कि जब देश के उच्च पदों पर महिलाओं कि संख्या बढ़ी तभी वे अपना विधेयक पास करा पायीं वरना यह विधेयक पहले भी पारित कर पुरुष इसका श्रेय ले सकते थे पर अब कुछ नहीं हो सकता है. प्रतिभा पाटिल, मीरा कुमार, सोनिया गाँधी, सुषमा स्वराज बधाई की पात्र हैं.. जय हो

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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