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रविवार को भारत और सऊदी अरब के बीच ५ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए. इनमें से सबसे महत्वपूर्ण समझौता प्रत्यर्पण से जुड़ा हुआ है जिसके अनुसार अब दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार वांछित अभियुक्तों की अदला बदली भी कर सकेंगें. भारत के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और सऊदी शाह अब्दुल्लाह के बीच इन समझौतों पर स्वीकृति जताई गयी. अल रवाद पैलेस में आयोजित एक समारोह में रियाद घोषणा पत्र को मंज़ूरी दी गयी.
इससे पहले दोनों नेताओं ने २००६ के दिल्ली घोषणा पत्र के क्रियान्वयन पर भी संतोष व्यक्त किया और आपस में सहयोग बढ़ाने की बात कही. अभी तक के दोनों देशों के संबंधों को और मज़बूत करने पर भी बल दिया गया तथा आगे और भी समझौतों पर विचार किया गया. भारत और सऊदी अरब के बीच संस्कृतिक सहयोग को और मज़बूत करने से जुड़े एक अन्य समझौते को भी मंज़ूरी दी गयी.
आज के युग में आतंक की समस्या को देखते हुए दोनों देशों ने इस पर भी मिलकर लड़ने का संकल्प लिया. भारत में मुस्लिम जनसंख्या को देखते हुए इन दोनों देशों के बीच होने वाले किसी भी समझौते का सारे विश्व पर बहुत दूरगामी असर पड़ना तय है क्योंकि भारत ने अपनी विविधता में भी जिस तरह से सभी सभ्यताओं को पनपने का अवसर दिया है वैसा दुनिया में कहीं और नहीं दिखाई देता है. फिर भी आगे आने वाले समय में भी इन दोनों देशों के सम्बन्ध बहुत दूर तक जाकर एक नयी इबारत लिखने में दुनिया की मदद करने में अपना सहयोग तो हमेशा ही देते रहेंगें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…
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