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पाक के साथ समग्र वार्ता कब और क्यों ?

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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आज कल अन्य सभी बातों के साथ पाक के साथ वार्ता का मुद्दा भी अपनी जगह पर है. जिस तरह से पाक ने अभी तक भारत के किसी भी कदम का सही ढंग से उत्तर नहीं दिया है उस स्थिति में कुछ खास सामने तो आने वाला नहीं था हाँ इतना अवश्य हो गया है कि एक बार फिर से दोनों देश वार्ता तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं. आज के समय जब पूरा विश्व आतंक से पीड़ित है और उसमें भी सबसे अधिक इस्लामी चरमपंथी समस्याएँ बढ़ाने में लगे हुए हैं वह निश्चित ही पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक है. भारत जब २५ साल पहले कह रहा था की पंजाब के आतंकवाद में पाक का हाथ है तो कोई उसे सुनने को तैयार नहीं था पर जब से अमेरिका पर भी हमला हुआ है तब से इस्लामी चरमपंथी भी निशाने पर आ गए हैं.
देश दुनिया में क्या हो रहा है उससे ज्यादा यह महत्वपूर्ण है कि उससे बचने के लिए कोई देश कैसे कदम उठा रहा है ? आज कश्मीर में कुछ हद तक शांति है उसका कारण वहां पर किये गए प्रयास हैं. पाक को किसी भी तरह से कश्मीर में शांति अच्छी नहीं लगती है और वह फिर से कोई नयी तरकीब निकाल कर वहां पर कुछ करने का प्रयास किया करता है. जब से कश्मीर में चरमपंथियों का मनोबल गिरा है तब से वहां पर विरोध का चलन शुरू हो गया. इसके पीछे भी पत्थर चलाने के लिए पैसे देने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया गया है. ज़ाहिर है कि इस तरह से पाक हर स्तर पर कुछ न कुछ करके इस मसले को उठाते रहना चाहता है. जबकि वास्तविकता यह है कि उसने अपने हिस्से के कश्मीर को गुलाम बना कर रखा हुआ है. यहाँ पर समग्र वार्ता के साथ कश्मीर का ज़िक्र इसलिए आवश्यक है क्योंकि पाक के पास भारत के खिलाफ जेहाद छेड़ने के लिए यही एक मुद्दा है.
आज भी अगर पाक नहीं चेतता है तो यह उसका दुर्भाग्य ही कहा जायेगा क्योंकि भारत जैसा पड़ोसी सभी को नहीं मिलता जो इतनी समस्या के बाद भी उससे बात करना चाहता है. अगर पाक में इतना दम हो तो वह कुछ ऐसे कदम ईरान के खिलाफ उठा कर भी देखे तब उसे असली भाव पता चल जायेंगें.
भारत की तरफ से आया यह बयान बिलकुल ठीक है कि अभी समग्र वार्ता लायक माहौल नहीं बन पाया है और जब वैसा कुछ हो जायेगा तो आगे की बातों पर भी विचार किया जा सकेगा. फिलहाल तो पाक अपनी दुष्प्रचार की नीति छोड़ने वाला नहीं है तो किस आधार पर बात शुरू की जा सकती है. क्या विश्वास बनाने का ज़िम्मा केवल भारत का है ? बात करने की ज़िम्मेदारी भी भारत की ही है ? पाक को चेत जाना चाहिए क्योंकि जो सरकार जिस माहौल में आज बात करना चाहती है हो सकता है कि वह माहौल ही कल हो न हो ?

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