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सोमवार से शुरू होने वाले संसद के सत्र को सुचारू ढंग से चलने के लिए बुलाई गयी मंत्रणा समिति की बैठक में जिस तरह से भाजपा ने केवल मंहगाई से ही चर्चा शुरू करने की मांग की वह किसी भी तरह से उचित नहीं कही जा सकती हिया. यह सही है कि इस समय देश के सामने यह बहुत बड़ा मुद्दा है पर इसके लिए क्या देश के सामने आने वाली अन्य चुनौतियों को किनारे कर दिया जाना चाहिए ? अगर पिछली कुछ नीतियों के कारण मंहगाई बढ़ी है तो आज की नीतियों से आगे की दिशा भी तो तय होनी है ?
पाक से बातचीत आज सबसे बड़ा मुद्दा है उस पर खुलकर बात होनी ही चाहिए. देश में साल भर की वित्तीय गतिविधियों के लिए भी सरकार अपनी संस्तुतियां सदन में रखेगी पर जिस तरह से इस महत्वपूर्ण बजट सत्र में केवल हंगामा करने की मंशा दिखाई जा रही है उससे किस तरह से देश का भला होने वाला है यह समझ से बाहर है ? अच्छा हो कि संसद में विपक्ष के दिग्गज केवल विरोध न करें बल्कि एक अच्छी बहस के माध्यम से सरकार को घेरने की कोशिश करें. सरकार की जो नीतियां गलत हैं उनके खिलाफ अच्छी तरह से अपनी बात रखें. आज पूरा देश जानता है कि संसद में क्या हो रहा है ? ऐसी स्थिति में क्यों हम केवल विरोध ही करते रह जाते हैं ? एक अच्छा विरोध, सकारात्मक विरोध जो देश की दिशा को सही कर सकता है अब संसद में दिखाई ही नहीं देता है. वहाँ पर केवल हंगामा करना ही एक मात्र मकसद होता जा रहा है. जब नियमों के तहत सभी को अपनी बात कहने का अवसर मिलता है तो फिर ये हंगामा क्यों ?
आशा की जानी चाहिए कि इस बार सब कुछ बेहतर होगा ? हमारे नेता कुछ अच्छे से व्यवहार करेंगें जिससे देश की नयी पीढ़ी भी अपने को संसद तक जाने के सपने आँखों में सजा सके और देश के भविष्य को सुधार सके.
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