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गिद्धों की वापसी…..

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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एक बहुत अच्छी खबर जो किसी भी पर्यावरण प्रेमी को खुश होने का एक मौका दे गयी पर शायद जानकारी के आभाव में आम नागरिक इस बात से अछूता ही रह गया है. उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर फिर से लुप्त प्राय गिद्धों के परिवारों को देखा गया है. निश्चित तौर पर प्रकृति के लिए यह बहुत शुभ सन्देश है पर एक दो परिवार दिखाई देने से बहुत अधिक खुश भी नहीं होना चाहिए जब तक इनके समुचित पुनर्वास और इनके लिए सही माहौल नहीं दिया जा सके तब तक कुछ भी अच्छा नहीं कहा जा सकता है. फिर भी इतना तो तय हो ही गया है कि कहीं कहीं अभी भी गिद्ध मौजूद हैं बस उनके सही संरक्षण की आवश्यकता है.
सबसे बड़ी बात कि अभी तक लोग इन बातों के लिए जागरूक नहीं हो पाए हैं कि किस तरह से इन लुप्त प्राय प्राणी को बचाया जाये. इन गीधों से जहाँ मरे हुए पशुओं कि प्राकृतिक सफाई में सहयोग मिलता है वहीँ ये एक संतुलन भी बनाये रखते हैं. यह सही है कि किसी एक दो समूहों का दिखना बहुत अच्छा है पर किसी तरह से इनको उन हानिकारक तत्वों से बचने की ज़रुरत भी है जिससे इनकी पूरी प्रजाति ही नष्ट हुई जा रही है. वैज्ञानिकों ने जो तथ्य पेश किये हैं उनके अनुसार दर्द निवारक दवा डिक्लोफेनेक के कारण ही इन गिद्धों की यह दुर्दशा हुई है. जानवरों में यह दवा दी गयी जिनके मृत शरीर को खाने के बाद ही इन गिद्धों में जोड़ों की बीमारी शुरू हो गयी जिसके कारण धीरे धीरे ये ख़त्म होते चले गए. आज हम सभी को यह देखना है कि किसी भी परिस्थिति में ऐसा कुछ भी न होने पाए जिससे बाद में किसी और प्राणी के लुप्त होने का खतरा हो जाये. एक और घरेलु चिड़िया गौरैया भी बीच में काफी कम हो गयी थी पर अब फिर से दिखाई देने लगी है. आशा है कि हम सभी और जागरूक होकर अपने पर्यावरण को केवल नारों से बाहर लाकर वास्तविकता के धरातल पर उतारने में सफल हो सकेंगें. और कम से कम अपनी आने वाली पीढ़ियों को यह पूरी विरासत देकर जायेंगें जो हमने अपने पूर्वजों से पाई थी.

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